दुष्यन्त कुमार: व्यक्तित्व एवं कृतित्व

Authors

  • डाॅ. दीनदयाल दिल्लीवार अतिथि व्याख्याता, हिन्दी ष्षासकीय ष्षहीद कौषल यादव महाविद्यालय, गुण्डरदेही जिला- बालोद ( छत्तीसगढ़ )

Keywords:

सृजनधर्मी, प्रवृत्तियाॅं, परोक्ष।

Abstract

साहित्यकार पर अपने परिवेष और परिस्थितियों का प्रत्यक्ष या परोक्ष प्रभाव अवष्य पड़ता है। परिस्थितियों के घात-प्रतिघात के बीच ही कवि की सृजनधर्मी प्रवृत्तियाॅं जन्म लेती हैं और विकसित होती हैं। अपने समय के तनावों और दबाओं के बीच कई बार कवि को नये निर्णय भी करने पड़ते हैं। ये निर्णय समय के साथ गलत भी साबित हो सकते हैं लेकिन इन्ही में काव्य का विकास निहित होता है। दुष्यन्त कुमार की सर्जना पर भी उनके अपने जीवन-परिवेष और परिस्थितियों की छाप अंकित है जैसे अन्य कवियों की सर्जना पर। व्यक्तित्व- दुष्यन्त कुमार का जन्म 1 सितंबर सन् 1933 को उत्तरप्रदेष के बिजनौर जिले के राजापुर नाबादा नामक गाॅंव में हुआ था। उनके पिता चैधरी भगवत सहाय त्यागी गाॅंव के जमींदार थे। माता का नाम राम किषोरी त्यागी था। वे भाइयों में बड़े थे।
दुष्यन्त कुमार की प्रारंभिक षिक्षा नजीबाबाद में संपन्न हुई। हाईस्कूल की षिक्षा उन्होंने मुजफ्फरनगर और चंदौसी में पूरी की। फिर उच्च षिक्षा के लिए वे इलाहाबाद आ गये। यहाॅं उन्होंने एम.ए. तक की षिक्षा अर्जित की। तत्पष्चात् राजेष्वरी देवी से उनका विवाह सम्पन्न हुआ।

References

पृष्ठ- एक

सरिका, मई 1976, रवीन्द्रनाथ त्यागी, पृश्ठ 51

सरिका, मई 1976, बलभद्रप्रसाद तिवारी, पृश्ठ 22

पृष्ठ- दो

सरिका, मई 1976, पृष्ठ 14

सरिका, मई 1976, प्रेम त्यागी, पृष्ठ 54

सरिका, मई 1976, पृष्ठ 54

पृष्ठ- तीन

सरिका, मई 1976, पृष्ठ 75

Downloads

Published

2015-07-31

Issue

Section

Articles