‘’नगाड़े की तरह बजते है शब्द’’ का स्त्री विमर्श के परिप्रेक्ष्य में विवेचन

Authors

  • डॉ.सुनील गुलाबसिंग जाधव, नांदेड, महाराष्ट्र

Keywords:

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Abstract

‘’नगाड़े की तरह बजते हैं शब्द’’  संथाल आदिवासी महिला लेखिका निर्मला पुतुल जी का यह  पहला कविता संग्रह हैं | साहित्य जगत में प्रवेश करते ही इसने तहलका मचा दिया था | पहली बार जंगल के बाहर शहर में किसी आदिवासी स्त्री ने अपने अस्तित्व का नगाड़ा बजाया था | जिसकी अनुगूँज सम्पूर्ण साहित्य में आज भी अपनी सम्पूर्णता में सुनाई देती है | आदिवासी स्त्री एवं आदिवासियों की  वेदना, पीड़ा, दर्द, टिस, उपेक्षा, अपमान, घुटन-टूटन, विवशता, विपन्नता, बदहाली के साथ,..... अपने अस्तित्व  की खोज करने वाली स्त्री सदियों से पुरुष व्यवस्था की चूभन को सहते-सहते.... उसके भीतर के आक्रांत स्त्री ने विद्रोह का बिगुल बजाते हुए, प्रति सत्ता को चुनोती दे डाली | निर्मला जी की कवितायेँ मात्र स्त्री के दर्द की अभिव्यक्ति  एवं पुरुष व्यवस्था का विरोध ही नहीं करती अपितु स्वयं के अस्तित्व  की तलाश करती आदिवासी स्त्री, आदिवासी जनजाति के प्रत्येक क्षेत्र में किये जानेवाले शोषण को भी सशक्त रूप में उघाड़ती है | शहर के ठेकेदार, समतावादी, राजनेताओं द्वारा विपन्न निरीह आदिवासियों के भोलेपन का फायदा उठाकर उनका ‘’यूज़ एंड थ्रो’’ करते हैं | जंगलोसे धडल्ले से गायब होते पेड़ों को बचाने का सन्देश भी देती है | आदिवासियों के जीवन पद्धतियों, नृत्य,गीत-संगीत, श्रद्धा-अंधश्रद्धा के साथ आदिवासी स्त्री-पुरुष, लड़का-लड़की, माता-पिता, भाई-बहन, कबीले का सरदार आदि भी उनकी कविताओं के विषय रहे हैं |

         आदिवासी स्त्री को केवल भोग्य वस्तु की दृष्टी से देखनेवाले पुरुषीय समाज पर आक्रोश प्रकट करते हुए आदिवासी लड़कियों को विभिन्न प्रकार से सावधान करती है | इतना ही नहीं मुखिया एवं जंगल के आदिवासी पुरूषों-भाईयों से आदिवासी लड़कियों की लाज बचाने का आग्रह भी करती है | मैंने ‘’नगाड़े की तरह बजते है शब्द ‘’ पुस्तक का स्त्री विमर्श के परिप्रेक्ष्य में विवेचन निम्न सूत्रों के आधार पर किया है |

१.स्व का अस्तित्व  तलाशती आदिवासी स्त्री

२.पुरुष  व्यवस्था के प्रति विद्रोह                                                                                

३.आदिवासी स्त्री के दर्द एवं वेदना की अभिव्यक्ति

४.आदिवासी लड़की और विवाह :-

५.आदिवासी स्त्री सौन्दर्य, गीत संगीत और नृत्य

६.आदिवासियों को फटकार

७.सभ्य शहरी समाज पर व्यंग्य

८. मुक्ति की चाहत 

References

नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.७

२.नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.३०

३.नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.३०

४.नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली. पृ.२९

५.नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.८

६.नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.३४

७.नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.११

८.नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.१२

९.नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.५४

१०. नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.७३

११.नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.८१

१२.नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.४६-४७

१३.नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.५१

१४.नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.५२

१५.न नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.८०

१६.नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.५९

१७.गाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.२१

१८.नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.२४

१९.नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.६१

२०.नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.०९

२१. नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.०९

२२.नगाड़े की तरह बजते है शब्द- निर्मला पुतुल, प्रकाशन-भरतीय ज्ञानपीठ, नयी दिल्ली.पृ.१०

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Published

2015-07-31

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Articles