भारिया जनजातीयों की सामाजिक स्थिति का अध्ययन: पातालकोट क्षेत्र के सन्दर्भ में‘‘

Authors

  • Dr Arvind Sah

Abstract

आवास, रहन-सहन -
भारिया सामान्यतः मध्यम कद
काठी और श्यामवर्णों में होते हैं। आँखें
छोटी, नाक कुछ चैड़ी, सुडौल होती है,
ओंठ पतले और दांत बारीक होते हैं।
स्त्रियाँ अपेक्षाकृत कृशकाय होती है,
लेकिन नाक, नक्शा सुडौल और सुंदर
होते हैं। स्त्रियों की अग्रिम दंत पंक्ति
सर्वथा बारीक होती है। कमर पतली
और उरोज उठे हुए नहीं होते हैं।
साधारण रूप में देखने में भारिया,
सहरिया, कोरकू और गोंड़ जैसे लगते
हैं। फिर भी भारियाओं को नजदीक से
देखना अन्य जनजातियों की तरह
रोमांचक और कौतूहल पूर्ण है।
भारियाओं का विश्वास है कि
पातालकोट के पेड़-पौधों, खाइयों और
टीलों पर भूत-प्रेतों का संग्रहालय है।
पातालकोट के भारिया बाहर के
लोगों के लिए सदैव आकर्षण का केन्द्र
रहे हैं। भारिया जंगलों में एकांत और
उँची जगहों पर रहना पसंद करते हैं,
ये जहाँ बसे होते हैं, उसे ’ढानाा’ कहते
हैं। एक ढाना में दो से लेकर पच्चीस
घर होते हैं, एक ढाने से दूसरे ढाने की
दूरी तीन से पाँच किलोमीटर तक हो
सकती है, दो-चार ढाना मिलकर एक
गाँव बनता है।

References

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हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, भोपाल

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Published

2015-09-30