महिलाओं में बढ़ते यौन अपराध - एक समीक्षात्मक अध्ययन

Authors

  • रितु उमाहिया

Abstract

शोध आलेख सार -
‘‘यत्र पूज्यते नारी रमन्ते तत्र
देवता’’ अर्थात् जहाँ नारी की पूजा
होती है वहाँ देवता वास करते हैं।
समाज में सर्वप्रथम स्त्री ने ही
सभ्यता और संस्कृति की नींव
डाली। किसी समाज की सभ्यता का
अनुमान उस समाज में स्त्री को
दिए गए आदर द्वारा आंका जा
सकता है। एक औरत जो हमारे
समाज में माँ, बहिन, बेटी और
पत्नी के रूप में पूजनीय है जो
परिवार की ही नहीं बल्कि समाज
की भी आधारशिला मानी जाती है
एवं परम्परागत रूप से भारतीय
परिवार की मुख्य धुरी रही है। ऐसी
माँ, बहिन और बेटी की जब गरिमा
और मान मर्यादा पर कोई आक्रमण
होता है तब न केवल वह औरत
की प्रतिष्ठा धूमिल होती है बल्कि
उसके साथ-साथ उसका परिवार
और समाज भी प्रभावित होता है।
‘‘दुष्कर्म’’ ऐसा ही जघन्य व गंभीर
अपराध है जो राज्य के विरूद्ध
अपराध की श्रेणी में आता है। इस
आलेख का उद्देश्य न केवल दुष्कर्म
जैसे गंभीर मामले में संवैधानिक
स्थिति स्पष्ट करता है वरन्
महिलाओं के संबंध में बढ़ते हुए
यौन अपराधों को नियंत्रित करने
संबंधी प्रावधानों की विवेचना करना
भी है।

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Published

2015-09-30