‘‘आधुनिक युग और हिन्दी पत्रकारिता’’

Authors

  • डाॅ. प्रियम्वद मिश्रा रा.दु.वि.वि., जबलपुर

Keywords:

.

Abstract

1921 के बाद हिन्दी पत्रकारिता का समसामयिक युग आरंभ होता है। इस युग में हम राष्ट्रीय और साहित्यिक चेतना के साथ-साथ पल्लवित पाते है। इसी समय के लगभग हिन्दी का प्रवेश विश्वविद्यालयों में हुआ और कुछ ऐसे कृती संपादक सामने आये जो अंग्रेजी की पत्रकारिता से पूर्णतः परिचित थे और जो हिन्दी पत्रों को अंग्रेजी, मराठी और बंगलों के पत्रों को समकक्ष लाना चाहते थे। फलतः साहित्यिक पत्रकारिता में एक नये युग का आरंभ हुआ। राष्ट्रीय आंदोलनों ने, हिन्दी की राष्ट्रभाषा के लिए योग्यता पहली बार घोषित की और जैसे-जैसे राष्ट्रीय आंदोलनों का बल बढ़ने लगा, हिन्दी के पत्रकार और पत्र अधिक महत्व पाने लगे। 1921 के बाद गांधी जी के नेतृत्व में राष्ट्रीय आंदोलन मध्यवर्ग तक सीमित न रहकर ग्रामीणों और श्रमिकों तक पहुंच गया और उसके इस प्रसार में हिन्दी पत्रकारिता ने महत्वपूर्ण योग दिया। सच तो यह है कि हिन्दी पत्रकार राष्ट्रीय आंदोलनों तक अग्र पंक्ति में थे और उन्होने विदेशी सत्ता से डटकर मोर्चा लिया। विदेशी सरकार ने अनेक बार नए-नए कानून बनाकर समाचार पत्रों की स्वतंत्रता पर कुठाराघात किया परंतु जेल, जुर्माना और अनेकानेक मानसिक और आर्थिक कठिनाईयाँ झेलते हुए भी हमारे पत्रकारों ने स्वतंत्र विचार की दीपशिखा जलाए रखी।

References

डाॅ. उदय नारायण तिवारी - हिंदी भाषा का उद्गम और विकास

आ. रामचंद्र शुक्ल - हिंदी साहित्य का इतिहास

प्रो. ऋषभदेव शर्मा - हिंदी भाषा के विकास में पत्र-पत्रिकाओं का योगदान।

Downloads

Published

2015-01-31