एक अध्ययन राश्ठृीय चेतना के उदय में कवियांे की सहभागिता

Authors

  • दिगंबर दास महंत पुरानी बस्ती देवांगन मोहल्ला बाई जी का किराना अकलतरा जिला जंॅाजगीर चापा

Abstract

सची राउतराय 1947 के आसपास निनादित होने वाले आधुनिक कविता के वाद्यवृन्द के सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण स्वर हैं। लगभग छह दशकों से वह कविताए कहानियाँ और साहित्यिक आलोचनाएँ अविराम लिखते आ रहे हैं। उन्होंने एक साहित्यिक पत्रिका का सम्पादन भी किया है और साहित्यिक संस्थाओं में भी वह सक्रिय रहे हैं। उन्होंने रोमानी कविताएँ लिखी हैं और प्रगतिशील भीए साथ ही उन्होंने विचारों और भावों को व्यवस्थित करने की दुर्लभ क्षमता प्रदर्शित करने वाली कतिपय उत्कृष्ट अधिमानसिक कविताएँ भी रची हैं। इस प्रकार उनकी कविता चार दशकों की आधुनिक उड़िया कविता में फैली हुई है और वह इसके महत्त्वपूर्ण तथा प्रवर्तक स्वरों में से रहे हैं। शुरू.शुरू में सची राउतराय पर जिन साहित्यकारों का प्रभाव पड़ा उनमें मायकोव्स्की प्रमुख हैं। अपनी एक प्रारम्भिक कविता में उन्होंने दावा भी किया है कि ष्न तो वह टैगोर हैं और न शैले।ष् ष्ष्जब आप मेरी पुस्तक का स्पर्श करते हैंए आप मनुष्य के हृदय का स्पर्श करते हैं।ष्ष् अपनी ष्अभिजानष् नामक एक कविता में उन्होंने लिखा है.

References

File:Indian revolt of 1857 states map.svg

. The Gurkhas by W. Brook Northey, John Morris. ISBN 81-206-1577-8. Page 58

Bandyopadhyay 2004, pp. 169–172 Bose & Jalal 2003, pp. 88–103 Quote: "The 1857 rebellion was by and large confined to northern Indian Gangetic Plain and central India.", Brown 1994, pp. 85–87, and Metcalf & Metcalf 2006, pp. 100–106

. Bayly 1990, p. 170 Quote: "What distinguished the events of 1857 was their scale and the fact that for a short time they posed a military threat to British dominance in the Ganges Plain."

Bandyopadhyay 2004, p. 177, Bayly 2000, p. 357

. http://www.fordham.edu/halsall/india/1617englandindies.asp

. TheHindu August-2006

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Published

2014-03-31

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Articles