‘‘कबीर का समाज दर्शन‘‘

Authors

  • दीपक कुमार ललखेर हिन्दी विभाग राण् दुण् विण् विण् जबलपुर म प्र

Keywords:

इतिहास, रूढ़िवादिता, विश्रंृखलता।

Abstract

भारतीय धर्म साधना के इतिहास में कबीरदास ऐसे महान विचारक, समाज सुधारक एवं प्रतिभाशाली महाकवि हैं, जिन्होंने शताब्दियों की सीमा का उल्लंघन कर दीर्घकाल तक भारतीय जनता का पथ आलोकित किया और सच्चे अर्थों में जन-जीवन का नायकत्व किया।
कबीरदास जी का जन्म ऐसे समय में हुआ जब समाज अनेक बुराईयों से ग्रस्त था। छुआछूत, अंधविश्वास, रूढ़िवादिता समाज में व्याप्त थी। कबीर ने इसका विरोध किया और सभी क्षेत्रों में फैली हुई सामाजिक बुराईयों को दूर करने का भरपूर प्रयास किया। वस्तुतः कबीर भक्त और कवि के बाद में थे। वे सही अर्थों में समाज सुधारक पहले थे। कबीर का युग सामाजिक विश्रंृखलता का युग था। ब्राम्हण वर्ग अभियान से ग्रस्त था। अपने को ऊँचा एवं शूद्रोें को नीचा मानकर उन्होंने समाज में जो छुआछूत की प्रथा चला रखी थी, उसका कबीर ने तीव्र विरोध किया।

References

डाॅ. शिवकुमार मिश्र, हिन्दी साहित्य युग और प्रवृत्तियाँ, पृ. 136

डाॅ. भोलानाथ तिवारी, कबीर जीवन और दर्शन, पृ. 100

डाॅ. रामलला वर्मा/डाॅ. रामचन्द्र वर्मा-युगपुरूष कबीर, पृ. 170

डाॅ. रामलला वर्मा/डाॅ. रामचन्द्र वर्मा-युगपुरूष कबीर, पृ. 170

कबीर काव्यामृत, पृ. 30

वही, पृ. 42

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Published

2015-11-30