‘‘महिलाओं की स्थिति सुधारने में शिक्षा की भूमिका’’

Authors

  • डाॅ प्रियम्वदा मिश्र हिन्दी विभाग रा.दु.वि.वि., जबलपुर

Keywords:

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Abstract

स्त्री का आत्मसंघर्ष अपनी निरन्तरता में प्रत्येक युग में विद्यमान रहा है। परम्परागत दृष्टि से स्त्री के प्रति व्यवस्था का रवैया निश्चित मानदंड़ों, नियत व्यवहारों से संचालित होता रहा है, जिसमें स्त्री को तय कर दी गई भूमिका में निर्धारित आचरण संहिता के अनुसार जीना है, जिसके निर्धारण का अधिकार शताब्दियों में पुरूष ने अपने पास सुरक्षित रखा है। समय के बदलते तापमान में, बदलते सामाजिक संदर्भों में अपनी असमानता से मुक्ति के प्रयत्न एवं दोहरे मानदण्डों के बीच अपनी बदलती सामाजिक भूमिका के बावजूद स्त्री के प्रश्न नहीं बदले। स्त्री की की स्थिति की पड़ताल, उसके संघर्ष एवं पीड़ा की अभिव्यक्ति के साथ-साथ बदलते सामाजिक संदर्भों में उसकी भूमिका तलाशे गये रास्तों के कारण जन्में नये प्रश्न टकराने के साथ-साथ आज भी स्त्री की मुक्ति का मूल प्रश्न उसके मनुष्य के रूप में अस्वीकारे जाने का प्रश्न ही है।

References

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Published

2016-02-29