‘‘द्विवेदी जी के उपन्यास और स्त्री विमर्श’’

Authors

  • डाॅ प्रियम्वदा मिश्र (हिन्दी विभाग) रा.दु.वि.वि., जबलपुर

Keywords:

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Abstract

आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के उपन्यास यद्यपि ऐतिहासिक कथानक को लेकर चलते हैं, परंतु उसका संबंध उस काल के समाज से अवश्य है, जिसके बीच के लिखे गए हैं। मोटे तौर पर द्विवेदी जी के उपन्यासों का लेखनकाल इस शताब्दी के पांचवे दशक से लेकर आठवें दशक के उत्तरार्द्ध तक फैला हुआ है। आचार्य जी ने जिस प्रकार ‘मध्यकालीन बोध का स्वरूप’ ग्रन्थ में मध्ययुगीन के कथन आधुनिकता पर विचार किया है, उसी प्रकार अपने उपन्यासों में द्विवेदी जी ने मध्यकालीन अथवा पौराणिक कथ्य लेकर आधुनिक संवेदना को वाणी दी है।

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