नारी अस्मिताः अत्याचार ‘‘ - मेरा दरद न जानै कोय’

Authors

  • दिगम्बर दास महंत पुरानी बस्ती देवांगन मोहल्ला अकलतरा जिला जांजगीर चाम्पा (छ.ग.)

Abstract

यह धु्रव सत्य है कि सृष्टि के आरंभ से नारी अनंत गुणों की आगार रही है। पृथ्वी की सी सहन शीलता, सूर्य समान तेज,चंद्रमा की सी, शीतलता, पर्वतो की सी मानसिक उच्चता, दया, करणा, ममता और प्रेम की साकार मूर्ति, त्याग और बलिदान की अमूल्य निधि और जीवन की गंगोत्री है। इस तथ्य से इंकार नही किया जा सकता कि विश्व को सजाने सवारने तथा उसे संुदर बनाने मे नारी की मुख्य भूमिका है। समाज को सभ्यता और संस्कार की मुक्ताभ से जगमगाने वाली शुभ किरणो की सृजन है।

References

संदर्भ ग्रंथ -

नारीः तन-मन गिरवी कब तक? के.एस.तूफान

गोदान: मुंशी प्रेमचंद

संस्कृति के चार अध्याय - रामधारी सिंह दिनकर

भारतीय संस्कृति के स्वर - महादेवी वर्मा

महिला शोषण एवं मानवाधिकार - सुधारानी श्रीवास्तव

भारत में नारी शिक्षा - जे.सी.अग्रवाल

नारी शोषण समस्याएॅं एवं समाधान - डाॅं.राजकुमार

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Published

2014-04-30

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