वायु, वृक्षो और धरती द्वारा प्राण ग्रहण करनें की यौगिक विधियों से समग्र स्वास्थय की प्राप्ति एक विवेचनात्मक अध्ययन
Keywords:
योगदर्शन, प्राण चिकित्सा, अंतःकुम्भक, बाह्य कुम्भक।Abstract
प्रस्तृत षोध में वायु, वृक्षो और धरती द्वारा प्राण को ग्रहण करने की यौगिक विधियों पर चर्चा की जायेगी । प्राण स्थूल व सूक्ष्म शक्ति है, जो सम्पूर्ण ब्रहाण्ड मे व्याप्त है। यह प्राण शक्ति समस्त जीव तथा वनस्पति जगत् में छोटे अणु से लेकर आकाष गंगाा तक सक्रिय रूप से विद्यमान है।मानव षरीर में इस प्राण षक्ति का दक्षतापूर्वक संचालन प्राण - विद्या ;प्राणिक हीलिंगद्ध का लक्ष्य है।
सर्वप्रथम वायु द्वारा प्राण को ग्रहण करने की विधि के अन्तर्गत पैरो ंको आराम से फैलाकर ,मेरूदंड सीधा रखते हुए खडे हो जाएं।अपने दोनो हाथों को मोडकर हथेलियों को अपने सामने कर लें,आॅखे बंद कर लें। मुलबंध लगाएं । अपना ध्यान दोनो हथेलियो क ेबीच में केंन्द्रित करते हुए सांस खीचें। अनुभव करें कि सांस आपकी हथेलियों के केंद्र में स्थित चक्र के द्वारा भी अंदर आ रही है। अपनी सामथ्र्य अनुसार कुंभक करें । अब अनुभव करें की सांस आपके हाथे के चक्रो तथा नासिका छिद्रो द्वारा बाहर आ रही है। अपनी शक्ति अनुसार बाहा कुंभक कर धीरें-धीरें गहरी सांस खीचे ।
इस प्रकार ध्यान पूर्वक दस आंतरिक कुम्भक और दस बाह्य कुम्भक करें। सांस लेते हुए अनुभव करना है कि प्राणशक्ति शरीर के भीतर प्रवेश कर रही है तथा सांस निकालते समय अनुभव करें की शरीर के समस्त विकार दूर हो रहे है। आंतरिक कम्ुभक में अनुभव करना कि मेरे समस्त अंग-प्रत्यंग प्राणशक्ति से परिपूर्ण हो गये है तथा बाह्य कुम्भक मे ंअनुभव करे की मेरा तन-मन पूरी तरह शुद्व हो गया है । प्रस्तुत षोध का प्रषिक्षण योग विभाग,हे0न0ब0ग0वि0वि0,श्रीनगर के छात्र/छात्राओ को मेरे द्वारा दिया गया छात्र/छात्राओ ने स्वयं प्राण शक्ति का अनुभव करते-करते अपने को समस्त रोगों से,मानसिक तनाव से मुक्त अनुभव किया। अतः हम कह सकते है कि वायु, वृक्षो और धरती द्वारा प्राण को ग्रहण करने की यौगिक विधियों द्वारा प्राण शक्ति को ग्रहण कर समग्र स्वास्थय को प्राप्त कर सकते है । इसी प्रकार अन्य वृक्षो और धरती द्वारा प्राण को ग्रहण करने की विधि सम्पूर्ण पेपर में प्रस्तुत कि जायेगी।
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