विष्लेषणात्मक अध्यययन - भारतीय लोकतन्त्र संचार साधनों का उद्भव एवं विकास

Authors

  • वर्षा तिवारी षोधार्थी रानी दुर्गावती विष्व विद्यालय

Keywords:

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Abstract

’संचार‘ मनुष्य के जीवन की प्रथम आवष्यकता है । ’संचार‘ के माध्यम से ही अचार-विचार ,भाव-अनुभूति के संचार के माध्यम सृष्टि के प्रारभ्भ से ही किसी न किसी रूप् में विघमान है । सार्थक चिन्हों द्वारा सूचनाओं के आदान-प्रदान करने की प्रक्रिया संचार है । संचार मानव प्राणी में भी होता है और वनस्पति एवं पषु-पक्षियों में भी पर यहाँँँँ मानव संचार से ही सीधा सरोकार है । बोलने, सुनने,सोचने,देखने,पढ़ने,लिखने,विचार-विमर्ष के द्वारा संचार होता है । एक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति से , एक समूह दूसरे समूह से, एक देष दूसरे देष से संचार के द्वारा ही जुड़ता है । संचार के लिए भाषा और माघ्यम दोनों ही महत्वपूर्ण है । व्यक्ति भी माघ्यम है और पत्र-पत्रिकाएँ,रेडियो , टेलीविजन, फिल्म, कम्प्यूटर, उपग्रह, फोन इत्यादि भी । कुछ मिलाकर यही कहा जा सकता है कि मानव विकास की धुरी ’संचार’ है ।

References

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Published

2016-04-30

Issue

Section

Articles