ब्रिटिशयुगीन भू-राजस्व व्यवस्था का छत्तीसगढ़ पर सामाजिक व आर्थिक प्रभाव

Authors

  • डाॅ0 नितिन सहारिया षासकीय.एम.एम.महाविद्यालय कोतमा, जिला अनूपपुर (म0प्र0)

Keywords:

अक्षुण, संस्कृति, बाहुल्य।

Abstract

शत-शत वर्षों की राजनैतिक उथल पुथल एवं ऐतिहासिक परिवर्तनों के बावजूद छत्तीसगढ़ क्षेत्र अपनी अनेक प्राचीन परंपराओं की अक्षुण या कम से कम जीवित रख सकने में समर्थ रहा है। दूसरा कारण संभवतः सही है कि मराठा पूर्व छत्तीगढ़ पर राज करने वाले राजवंशों ने यहां कोई विदेशी या विजातीय प्रथा नहीं लादी। वे स्वयं इस भूमि के होकर रहे। आर्य अनार्य संस्कृति के संगम स्थल छत्तीगढ़ क्षेत्र की गहरी सांस्कृतिक जड़े ब्रिटिश पराधीनता के काल में भी उन्मूलित न की जा सकी’’। अपने आप में परिपूर्ण आख्यक बहुल क्षेत्रों की जन जातियां अपना गौरव एवं बाहुल्य बनाये रखने में समर्थ रहीं। ताकि जीवन के सहज स्वाभाविक और आडंबर हीन कार्य कलापों का यहां की स्थानीय संस्कृति पर गहरा रंग था।’’

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Published

2015-07-31

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Articles