भारत में विज्ञान की उज्जवल परम्परा

Authors

  • डाॅं. नितिन सहारिया षासकीय एम.एम. महाविद्यालय कोतमा, जिला-अनूपपुर (म0प्र0)

Keywords:

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Abstract

भारतवर्ष सृष्टि के अदिकाल से सनातन राष्ट्र रहा है। एवं भारतीय संस्कृति अक्षय, मृत्युंजय, अजेय, अनंत,अनादि, अखण्ड, सनातन, हैं। इसका प्रवाह गंगा की तरह है। जिसमे सैकड़ों नदी-नाले मिलकर पवित्र हो गये, अपना अस्तित्व खोकर गंगा बन गये। भारतीय संस्कृति देव संस्कृति (आर्य संस्कृति) है। संसार का सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋग्वेद कहता है कि -‘‘ सा प्रथमा संस्कृति विष्वाराः‘‘-‘विष्व की प्रथम संस्कृति‘ भारतीय संस्कृति है। एवं भारत विष्व का सबसे पुरातन राष्ट्र है। विष्णु पुराण कहता है कि-
‘‘उत्तंर यत् समुद्रस्य हिमाद्ैश्रेव दक्षिणं।
वर्षं तद्धारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः।।‘‘
अर्थात- जिसके उत्तर में हिमालय और तीन तरफ समुद्र से घिरा हुआ देष भारत है। एवं इसकी संतति ‘भारतीय‘ कहलाती है। दुनिया के मानचित्र में जब इग्लैड, अमेरिका, जापान, चीन, इत्यादि देषों का अस्तित्व भी नहीं था। तब भारत था। एक और संस्कृत ग्रंथ ‘बृहस्पति आगम‘ में वर्णन आता है कि -
हिमालयात समारभ्य, यावत् इन्दु सरोबरम्। तम्देव निर्मितं देषं, हिन्दुस्थानं प्रक्षयते्।।
अर्थात उत्तर में हिमालय (कैल्पस पर्वत) से लेकर दक्षिण में इन्दु सरोबर (हिन्द महासागर) तक सम्पूर्ण देष हिन्दुस्तान हैं। एवं इसकी प्रजा ‘हिन्द‘ु कहलाती है।

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2015-05-01

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