केन्द्रीय बजट : कृषि क्षेत्र के लिए संजीवनी

Authors

  • अभिषेक पाण्डेय अल्का तिवारी शोधार्थी शासकीय ठाकुर रणमत सिंह महाविद्यालय, रीवा (म.प्र.)

Keywords:

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Abstract

स्वतंत्रता प्राप्ति के 69 वर्ष बाद हम पीने के लिए पानी तक की व्यवस्था नहीं कर सकें। कृषि यंत्रों के प्रयोग से किसानों की समस्या हल होने वाली नहीं है। जब खेतों में खड़ी फसल पानी के अभाव में हर वर्ष सूखती चली जाती है तब आये दिन किसानों द्वारा की जा रही आत्म हत्यायें इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है 50 वर्षों से अनेक सिचाई परियोजनायें अधूरी पड़ी हुई हैं उनकी लागत की चार-पांच गुना अधिक धन राशि भृष्टाचार्य के नाम भेट चढ़ चुकी है। लेकिन अभी भी वे निर्माण की अवस्था में हैं ये कब बनकर पूरी होंगी इसकी कोई समय सीमा नहीं है। मध्यप्रदेश की वरगी परियोजना इसका ज्वलंत उदाहरण है। 18 विधान सभाओं के किसानों की भूमियों की सिचाई का लाभ इस परियोजना से मिलना है। लेकिन यह परियोजना सिर्फ कागजों में बन रही है यदि सरकार सही रूप में किसानों की आर्थिक दशा सुधारना चाहती है तो उसे सिचाई की उचित व्यवस्था करनी पड़ेगी। सभी सिचाई परियोजनाओं को शीघ्र पूरा किया जाय और छोटे-बड़े बांधों का निर्माण कर नई परियोजनायें पूरी की जाय। सही बात तो यह है कि ना तो पुरानी परियोजनाएं और न ही 20 वर्षों में कोई नई परियोजना सिचाई से सम्बंधित हाथ में ली गयी। ऐसी स्थिति में सूखे खेतों से किसानों की कौन-सी उन्नति की उम्मीद हम कर सकते हैं? 20 वर्षों में खाद, कृषि यंत्र के मूल्यों में बीस गुनी वृद्धि हुई है। सिचाई की बिजली दरों में इन बीस वषों में अबतक आठ गुनी वृद्धि हो चुकी है।
प्रस्तुत शोध के माध्यम से शोधार्थी वर्ष 2016-2017 के बजट का ग्रामीण कृषि में क्या योगदान है? का पता लगाने का प्रयत्न करना है और उसका समीक्षात्मक निष्कर्ष प्रदान करना है।

References

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ण्नीति आयोग दिसम्बर 2016

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Published

2016-05-31

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Articles