कृष्ण भक्ति-काव्य की परम्परा और उसकी विषेषताएॅं

Authors

  • डा0 आभा त्यागी प्राचार्या वैष्य कन्या महाविधालय समालखा (पानीपत) हरियाणा

Keywords:

.

Abstract

सम्पूर्ण हिन्दी साहित्य में कृष्ण भक्ति काव्य परम्परा सबसे लम्बी और समृद्ध है। महाभारत मे ऐसे अनेक स्थल हैं जहाॅं कृष्ण के पूजे जाने का उल्लेख है महाभारत के कृष्ण केवल नीति-विषारद न होकर धर्मात्मा भी है। महाभारत के पश्चात शताब्दियों तक कृष्ण-पूजा का प्रचलन अवष्य रहा। चैथी शताब्दी ईसा के पूर्व मे मथुरा के आस-पास कृष्ण पूजा के प्रचलन का उल्लेख मेगस्थनीज की यात्रा विवरण में मिलता है। चैथी व पाॅचवी शताब्दी में गुप्त सम्राटों ने भागवत धर्म स्वीकार करके उसकी खूब उन्नति की। सातवी आठवी शताब्दी तक दक्षिण भारत में कृष्ण भक्ति का प्रचार जोरों से हुआ संस्कृत काव्यों में कृष्ण भक्ति का स्वरूप बहुत प्राचीन काल से ही विकसित हो गया था।

References

डाॅ0 वीणा शर्मा - आधुनिक हिन्दी महाकाव्य पृष्ठ 107

भारतीय संस्कृति और सभ्यता - प्रसन्न कुमार आचार्य- हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रचार्य

भारतीय संस्कृति और सांस्कृतिक चेतना - डाॅ0 राम खेलावन पाण्डेय पृ08

हिन्दी साहित्य कुछ विचार, डा0 प्रेम अरायण टंडन

Downloads

Published

2016-05-01

Issue

Section

Articles