भासकालीन समाज में प्रचलित नारियों से संबंधित लोकमान्यताऐ तथा जनविष्वास

Authors

  • तरन्नुम खान (षोध छात्रा) संस्कृत पालि एवं प्राकृत विभाग रानी दुर्गावती विष्वविद्यालय जबलपुर (म0प्र0)

Keywords:

वैविध्यपूर्ण, औषध।

Abstract

महाकवि भास प्राप्त संस्कृत साहित्य में सर्वप्राचीन तथा सुप्रसिध्द नाटककार है।आपका समय ई.पू. चैथी शताब्दी मान्य है।, भास के तेरह नाटक है, जो ‘त्रिवेन्द्रम प्लेज‘ के नाम से मषहूर है। महाकवि भास की रचनाओं का सामाजिक क्षेत्र अत्यंत वैविध्यपूर्ण है जिसमें व्यक्ति के जीवन के प्रत्येक पक्ष को समाहित किया गया है। तत्कालीन समाज में लोक मान्यताओं तथा जनविष्वासों का महत्त्वपूर्ण स्थान था। भासकालीन नारियाॅ ज्योतिष्य, शकुन, आकाषवाणी, शाप, स्वप्न, औषध, प्रतिसरा तथा भाग्य में विष्वास व आस्था रखती थीं।

References

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Published

2014-12-31