स्वात्रयोतर गद्य की विधाओं को स्वरूप

Authors

  • डा0 आभा त्यागी प्राचार्या एसोसिएट प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग वैष्य कन्या महाविधालय समालखा (पानीपत) हरियाणा

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Abstract

आधुनिक काल की पूर्व पीठिका के रूप में भारत के अॅंगेजी सत्ता की स्थापना तथा उसकी प्रतिक्रिया में भारतीय समाज में जन चेतना की प्रक्रीया की एक लम्बी भूमिका है जिसमें एक बात निश्चित रूप से स्वीकार की जा सकती है कि 1757 से लेकर 1857 तक की एक शताब्दी की कालावधि में पूरे भारत का राजनीतिक सामाजिक तथा धार्मिक परिवेश निरन्तर संक्रमण के दौर से गुजर रहा था। राजनीति में जहाॅं अॅंग्रेंजी का शक्ति विस्तार भारतीय राजाओं और यहाॅं की जनता में रोष का कारण बन रहा था, वही पाश्चात्य शिक्षा-पद्धति नये विचार और नये दृष्टिकोण के विकास का आकार बन रही थी तथा तीसरी ओर ईसाई मिशनीरियों द्वारा ईसाई मत का प्रचार भारत के धार्मिक जागरण का कारण बनता जा रहा था। और इन सबसे प्रेरित होकर भारतीय संस्कृति का पुनरूत्थान युग आधुनिकता को ओढ़ने के लिए तत्पर हो गया था।

References

हिन्दी साहित्य का इतिहास

हिन्दी साहित्य का विकास

हिन्दी साहित्य युग और प्रवृतियाॅं

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Published

2016-06-30

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Articles