बाजारी संस्कार और साहित्यिक मूल्य

Authors

  • डा0 आभा त्यागी प्राचार्या एसोसिएट प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग वैष्य कन्या महाविधालय समालखा (पानीपत) हरियाणा

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Abstract

‘मूल्य’ वाणिज्य शास्त्र का पारिभाषिक शब्द है। मानव के सन्दर्भ मे यह शब्द उसके संास्कृतिक विकास का सूचक है। मानव अपनी वौद्धिकता के कारण सभी जीवधारियों में श्रेष्ठ माना जाता है। उसके पास बुद्धि है और विचार करने की क्षमता है। उसका विवेक उसकी अनुभूतियों का नियन्ता है। यही विवेक उसके जीवन को सार्थकता प्रदान करता है। उसके जीवन के सार्थक अंश ही विचार और मूल्य कहे जाते है।

References

डाॅ0 बैजनाथ सिंघल - साहित्य मूल्य और प्रयोग पृ0 1

डाॅ0 अमर सिंह वधावन - 21 वी सदी से संवाद पृ0 167

म्हिपाल सिंह - विष्व बाजार में हिन्दी, पृ0 189

डाॅ0 सूर्यदीन यादव - साहित्य परिवार, पृ0 46

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Published

2016-06-30

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Articles