दलित अपराध - स्थिति व परिणाम

Authors

  • डाॅ,मनीष कुमार सहायक प्राध्यापक समाजशास्त्र बरकतल्ला विवि,भोपाल

Keywords:

Abstract

पिछले कुछ दशको में नारी संबंधी अध्यन व महिला उत्थान विषयक विचारधाराओं नें बौद्विक जगत में एक केन्द्रित व महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। इन विचारधाराओं के विकास की प्रकिया को सामाजिक सिथतियों व उनमे होने वाले परिवर्तन की गति से सम्बद्व करके देखा जा सकता हैं।
नर व नारी के संबंधों व प्रस्थिकतयों में असमानता एक महत्वपूर्ण प्रश्न के रूप में उभरा है। बौद्विक स्तर पर नारी की समस्याओं को आंशिक तथा सीमित रूप से समाज सुधारकों के विचारों के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता रहा है। नर नारी के सामाजिक व सांस्कृतिक विभेदीकरण की स्थिति को अमूमन सैद्वोतिक स्तर पर विवेचन व विश्लेषण से परे देखा गया।
किसी भी व्यापक समस्या के समाधान हेतु विचारो व सिद्वांतों के माध्यम से समस्या के विश्लेषण की आवश्यकता को नकारा नही जा सकता। मानव समाज की आसमानता को काल्र माक्र्स ने गूढ सेद्वांतिक विवेचना के माध्यम से प्रस्तुत किा ओर उसी के फलस्वरूप सामाजिक विषमता को दूर करने के संस्थागत प्रयास आरम्भ हुये। नारी की प्रस्थिति के संदर्भ में परिवपक्व वैचारिक व सैद्वांतिक संवाद उसकी प्रस्थिति में परिवर्तन के लिये प्रकार्यात्मक पूर्व आवश्यकता के रूप में स्थापित किये जाने से संबंधित है। विगत कुछ दशकों नारी संबंधी अध्ययनसें का सैद्वांतिक व अवधारणात्मक पक्ष प्रबल हुआ हैं। वर्ग व्यवस्था की विवेचना की तहत नारी से संबंधित अध्ययनों का किसी एक विषय से जुडना अथवा एसे विषयगत सीमा में बंाधनाअनुजचत व अंतार्किक है। नारी अध्ययन की विषय वस्तु संज्ञानात्मक आधार पर अनेक विषयों से आबद्व है। अब तो विषयक अध्ययन एक स्वतंत्र विषय के रूप में अध्ययन अध्यान व अनुसंधान के दृ्रष्टिकोण से स्थापित हो गया है। इस विषय में उपलब्ध साहित्य व नारी से संबंधित विशिष्ट पत्र पत्रिका इस विषय के बौद्विक सामाजिक एंव राजनैतिक महत्व को दर्शाते है।

References

छुआछूत खत्म करने के लिए आर्थिक दशा में सुधार होना चाहिए। जिससे इनका जीवन स्तर ऊॅचा उठ सके तथा इनकी बहुत सारी निर्योग्याताएं दूर हो सके।

(2) चलचित्र; नाटक ; गीत; शिक्षा आदि द्वारा जनमत तैयार कर लोगों को छुआछूत के प्रति जागरूक करना चाहिए।

(3) इनका किसी प्रकार का शोषण समाप्त होना तथा इनके कार्य के बदले उचित वेतन देने संबंधी नियम बनाये जाने चाहिए।

(4) सरकार द्वारा इन दलित समुदायों के लोगों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान की जानी चाहिए।

(5) सरकार द्वारा अन्तर्जातीय विवाहो को प्रोत्साहन देना चाहिए।

(6) जो घ्रणित पेशा है उसमें कुछ सुधार होना चाहिए।

(7) इनकी बस्तियाॅ साधारण बस्तियों में होनी चाहिए जिससे भेदभाव की प्रव्रति में कुछ कमी आ सकें।

(8) शिक्षा द्वारा जाति प्रथा को समाप्त करने के पंयास किये जाने चाहिए। अगर जाति प्रथा खत्म हो जाय तो छुआछूत अपने आप खत्म हो जायेगी।

(9) मंदिरों में प्रवेश पर पाबंदी नही होनी चाहिए।

(10) सार्वजनिक या निजी हैण्डपंपो पर किसी प्रंकार की कोई पाबंदी नही होनी चाहिए।

(11) शादी-विवाह के अवसर पर एक ही पंगत में सभी जाति के लोगों को एक साथ ही बिठाना चाहिए।

(12) धार्मिक अपसरो पर भी इन जातियों के सदस्यों को सम्मिलित होने का अवसर मिलना चाहिए।

(13) शिक्षा का प्रचार प्रसार होना चाहिए।

संदर्भ

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Published

2016-06-30

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Articles