जनजातियों की आर्थिक संरचना एवं ऋणग्रस्तता के परिवर्तन में आधुनिक कृषि पद्धतियों का योगदान

Authors

  • डाँ.नाहारसिंह बर्डे Member,Madhaya Pradesh Economic Association, Bhopal (M.P.)

Keywords:

Abstract

वर्ममान में भारतीय अर्थव्यवस्था जिस गति से आग्रसर हो रही है उसमें अधिकांश लोग 1991 के आर्थिक सुधारों को श्रेय देते है ंिकंतु भारतीय कृषि को भी नजर अंदाज नही किया जा सकता आज भी भारतीय अर्थव्यस्था में कृषि की अहम भूमिका है। इस भूमिका में जनजातियों को भी नजर अंदाज नही किया जा सकता वर्तमान में देश में 14.68 प्रतिशत एवं प्रदेश में 21.1 प्रतिशत जनजातियों की जिविका मुख्यतः भू-साधनों पर आधारित है। तथा इनमें से 90 प्रतिशत से भी अधिक लोग कृषि और अन्य सहायक कार्याे पर निर्भर है। जनजातियों की अर्थव्यवस्था मूलतः कृषि आधारित है जमीन ही जनजाति परिवार की संपत्ति है। जमीन के साथ जनजातियों का भावात्मक संबंध जुड़ा रहता है।

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स्त्रोत-जिला संाख्यिकीय पुस्तिका खरगोन (म.प्र.)

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Published

2016-08-31

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Articles