जी.एस.टी. समाज के लिए बड़ा कदम

Authors

  • अभिषेक पाण्डेय अल्का तिवारी शोधार्थी एलआइजी जूनियर विन्ध्य विहार पड़रा रीवा

Keywords:

Abstract

सबसे बड़े कर सुधर के पर्याय वस्तु एवं सेवा कर संबंधी जीएसटी विधेयक पर पक्ष-विपक्ष में आम सहमति बनना और उसका मार्ग प्रशस्त होना एक बड़ी कामयाबी है। टैक्स व्यवस्था को सुगम बनाने और अर्थव्यवस्था को मजबूती देने वाले इस विधेयक को संसद की मजूरी के बाद भी लंबा सफर तय करना होगा, लेकिन बिना किसी गतिरोध के साथ। निःसंदेह नई व्यवस्थाओं के निर्माण में समय लगता है और उन पर अमल के दौरान प्रारंभ के कुछ कठिनाइयां भी पेश आती है, लेकिन अच्छा होता कि जीएसटी विधेयक को इस मुकाम तक आने में इतना समय नहीं लगता। जीएसटी की रूपरेखा बनाने का काम वर्ष 2000 में शुरू हुआ था लगातार विचार-विमर्श के बाद वर्ष 2010 में उसे कानून का रूप देकर लागू करने का लक्ष्य रखा गया, लेकिन आम सहमति के अभाव में यह लक्ष्य निरंतर खिसकाता गया और इस तरह छह साल की दूरी हुई ऐसा तब हुआ जब तक सभी प्रमुख राजनीतिक दल सैद्धातिक तौर पर इससे सहमत थे कि देश को किस्म-किस्म के टैक्स के मकइजाल से बचाने की जरूरत है। जीएसटी के मामले में केन्द्र और राज्यो के बीच मतभेद के कुछ तीन-चार बिंदु ही थे, जिन्हे बडी आसानी से बक निश्चित समय सीमा में सतत विचार-विमर्श के जरिये सुलझाया जा सकता था, ठीक वैसे ही जैसे पिछले 10-12 दिनों में सुलझा लिए गए। अब जब जीएसटी का बेड़ा पार होने वाला है तब अच्छा यह होगा कि इस पर भी विचार किया जाए कि इस जरूरी काम में इतना विलंब क्यो हुआ और क्यू उससे पार पाया जा सकता था? ऐसा इसलिए ताकि भविष्य के लिए बेहतर नजीर स्थापित हो सके और विधायन के काम में दलगत राजनीति आड़े न आ सके।

 

References

दैनिक जागरण में प्रकाशित राजीव चंद्रशेखर का लेख दिनांक - 04 अगस्त 2016

दैनिक जागरण में प्रकाशित सम्पादकीय दिनांक - 05 अगस्त 2016

अप्रत्यक्ष कर - श्री पाल सकलेचा द्वारा लिखित - 2015-16

- www.google. com

आयकर विधि एवं व्यवहार आर. पी. यूनिफाइड द्वारा प्रकाशित - 2015-16

कर-नियोजन 2016-17

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2016-08-31

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