माध्यमिक स्तर के विद्यार्थियों के विद्यालय परिवेश का उनके समायोजन पर प्रभाव का अध्ययन

Authors

  • श्रीमती पुरोधा डॉ. उर्मिला वर्म सहा. प्राध्यापक, षिक्षा संकाय नवयुग कला एवं वाणिज्य महाविद्यालय, जबलपुर

Keywords:

Abstract

शिक्षा मानवीय जीवन का एक सुसंस्कृत एवं महत्वपूर्ण पक्ष है। शिक्षा द्वारा ही मनुष्य परिष्कृत एवं विवेकशील बनता है। समस्त ज्ञान मनुष्य के अंतर में अवस्थित होता है। इसके जागरण के लिये एक उपयुक्त वातावरण की आवष्यकता होती है। इस वातावरण के निर्माण हेतु किये गये संगठित प्रयास को ही विद्यालय कहते हैं। विद्यालय वह साधना स्थली है, जहाँ श्ील और चरित्र का विकास होता है। यहाँ पर संपन्न होने वाली क्रियाएं बालक के विकास के लिये उŸारदायी होती है। यह एक सक्रिय वातावरण का निर्माण करता है, जहाँ षिक्षक एवं षिक्षार्थी एक दूसरे का प्रभावित करते हैं। विद्यालय उन्हें परस्पर अंतः क्रिया एवं विचारों के आदान-प्रदान का अवसर प्रदान करता है। टी.पी.नन. के अनुसार - “विद्यालय ऐसा स्थान है जहाँ बालकों को क्रियाओं के निष्चित रूपों में प्रषिक्षित किया जाता है।“ विद्यालय परिवेष बालक के हर पक्ष को प्रभावित करता है, यदि बालक को विद्यालय में उचित व अनुकूल वातावरण मिलता है तो उसके व्यक्तित्व का उचित विकास होता है। उसके अंदर की शक्तियाँ, प्रतिभाएँ निरंतर कर आती है।

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Published

2016-10-31