भारत के आर्थिक विकास में जल संसाधन प्रबंध का योगदान

Authors

  • अभिषेक पाण्डेय अल्का तिवारी Asst. Professor

Keywords:

Abstract

ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट 2016 में विश्व आर्थिक मंच (2016) में प्रभावकारिकता के स्तर पर जल संकट को सबसे बड़े वैश्विक खतरे में सूचीबद्ध किया है, जल संकट के विविध आयामह ै, जिनमें भोतिक, आर्थिक एवं पार्यावरणीय जल की गुणवक्ता से संबंधित आदि प्रमुख है। आबादी का बढ़ता दबाव बड़े पैमाने पर शहरीकरण, बढ़ती आर्थिक गतिविधिया उपभोग की बदलती प्रवृत्तियां रहन-सहन के स्तर में सुधार, जलवायु विविधता, सिंचित कृषि का विस्तार एवं जल की अधिकांश मांग करने वाली फसलों की पैदावार आदि से जल की मांग का दायरा बढ़ा है।
पिछले कुछ दशक में स्वच्छ पेयजल की बढ़ती मांग एवं इसकी कालिक एवं स्थानिक उपलब्धता जल संकट के प्रमुख कारकों में से है। जल संकट का उद्गम एक तरह से स्वच्छ पंयजल की मॉग एवं उपलब्धता के भौगोलिक एवं स्थानिक असमानता के रूप में भी देखा जा रहा है। जल संकट का प्रभाव सामाजिक र्प्यावरणीय एवं आर्थिक प्रभाव के रूप में सामने आ रहा है।

References

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Published

2016-10-31