शहादत पर चुप्पी और एनकाउंटर पर शोर

Authors

  • डाॅण् कृष्णगोप मिश्र सहायक-प्राध्यापक (हिन्दी)उच्च शिक्षा उत्कृष्टता संस्थान,भोपाल - म.प्र.

Keywords:

Abstract

अनेक जघन्य अपराधों में लिप्त रहे कुख्यात आतंकवादियों के एनकाउंटर किए जाने के तत्काल पश्चात मण्प्रण् के पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह एवं श्री कमलनाथ आदि ने आतंकवादियों के प्रवक्ता की तर्ज पर अप्रत्यक्ष रूप से एनकांउटर को फर्जी और संदेहास्पद बनाने का जो कूट प्रयत्न किया हैए वह दुर्भाग्यपूर्ण है। ऐसी बयानवाजी से लगता है कि हमारे इन गणमान्य समझे जाने वाले नेताओं की सहानुभूति अपराधियों आतंकवादियों के साथ है। इन दुर्दान्त शक्तियों के विरूद्ध राष्ट्ररक्षा में सन्नद्ध आत्मबलिदान को उद्यत देशभक्तों के साथ नहीं। यही कारण है कि शहीद रमाशंकर यादव की क्रूर हत्या पर दो शब्द भी इन कांग्रेसी नेताओं ने नहीं कहे। प्रश्न यह भी है कि क्या शहीद रमाशंकर यादव की शवयात्रा में सम्मिलित होनेए शोक संतप्त परिवार को हिम्मत बंधाने की जिम्मेदारी भी केवल सत्तापक्ष की ही है घ् क्या विपक्ष को शहीद अथवा उसके परिवार से कोई सहानुभूति नहीं घ् यदि हैए तो उन्होंने इस संबंध में विचार व्यक्त क्यों नहीं किये घ् जिन पर हत्या लूट डकैती और फरारी के एक से एक जघन्य अपराध दर्ज हैं उनके प्रति असीम करूणा तथा कत्र्तव्य की वेदी पर प्राण न्यौछावर करने वाले शहीद की निर्मम उपेक्षा निश्चित रूप से दुर्भाग्यपूर्ण है किन्तु जो कुख्यात अन्तर्राष्ट्रीय अपराधी आतंकवादी ओसामा.बिन.लादेन को ष्ओसामा जीष् कहकर उसके प्रति आदर व्यक्त करते रहे हैं य बटालाकांड के एनकाउंटर को फर्जी बताकर उस पर जो आँसू बहाते रहे हैं उनसे और उम्मीद ही क्या की जा सकती हैघ्
यह रेखांकनीय है कि जो पाकिस्तान प्रेरित आतंकवादियों के काले कारनामों को लक्ष्य कर उच्च स्वर से घोषित करते हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता वे ही अपने राजनीतिक प्रतिपक्षियों की छवि बिगाड़ने के लिए ष्भगवा आतंकवादष् जैसे मुहावरे भी गढ़ते हैं। कश्मीरी.विस्थापितों के कष्टों परए गोधरा कांड के शहीदों परए आतंकवादी विस्फोटों में मारे गये निर्दोष नागरिकों की हत्याओं परए उड़ी के सैन्यशिविर पर हुए आक्रमण पर और विगत एक माह से सीमा पर हो रहे सतत् बलिदानों पर जिनकी आँखों से कभी एक आँसू नहीं गिरताए जिनके मुख से सहानुभूति का एक बोल नहीं फूटता वे वोटबैंक की राजनीति के लिए जनता की सुरक्षा और राष्ट्रीय अस्मिता की गरिमा के प्रति किस सीमा तक उदासीन हैं इसकी साक्षी पहले सर्जीकल स्ट्राइक और अब इस एनकाउंटर पर उठाए गए सवालों में मिलती है। उण्प्रण् में सत्ता प्राप्ति के लिए लालायित सुश्री मायावती भी इसी स्वर में बोल रही हैं। जिस देश का विपक्ष देशहित के स्थान पर दलीय हितों के लिए इस सीमा तक सक्रिय है उसकी आन्तरिक और बाह्य सुरक्षा का प्रश्न निश्चय ही अत्यंत जटिल है। यह हर्ष और संतोष का विषय है कि इस समय देश की जनताए सत्ता और सेना . . तीनों ही पक्ष राष्ट्रीय.गौरव की रक्षा के लिए हर संभव प्रयत्न कर रहे हैं।

References

,

Published

2016-10-30