खेलों में तनाव एवं प्रबन्धन - निराकरण व समाधान

Authors

  • NARENDER . Assistant Professor, Deptt. Of Physical Education A.I. Jat H.M. College, Rohtak (Haryana)-INDIA

Keywords:

Abstract

वस्तुतः खेल मानव जीवन का अहम् अंग हैं। अधिकांश समाज शास्त्रियों का मत है कि खेलों के बिना मानव जीवन अधूरा है, क्योंकि खेल शारीरिक व मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। खेलों की मानव जीवन में दोहरी भूमिका होती है। खेल तनाव को दूर भी करते हैं और तनाव का कारण भी बनते हैं। इसलिए इस बात की अपरिहार्य आवश्यकता है कि खेलों में तनाव के कारण व उनके निदान सम्बन्धी उपाय समय-समय पर किये जायें ताकि खिलाडियों को किसी प्रकार के मानसिक अवसाद का सामना न करना पड़े। चूंकि मानसिक अवसाद के कारण खिलाड़ी की शारीरिक व मानसिक क्षमता प्रभावित होती है। जो खिलाड़ी खेल को खेल की भावना से लेता है, वह मानसिक तनाव से दूर रह सकता है। खेल में हार-जीत का कोई महत्व नहीं होता। महत्व है तो - केवल मात्र खेल भावना का।  परन्तु प्रायः यह देखा जाता है कि अपने खेल भविष्य को लेकर कई बार खिलाड़ी अवसादग्रस्त हो जाते हैं। इसलिए खिलाड़ी को विभिन्न प्रकार के योगासन, व्यायाम, प्राणायाम, ध्यान एवं योग आदि की मदद से स्वयं को अवसाद से दूर रखने के प्रयास करने चाहिऐं।

References

• डिक्, एम.डब्ल्यू., खेल एवं सिद्धात, ए एण्ड सी ब्लैक, लंडन, 1989।

ऽ राॅय, एस.एस. एण्ड राॅय, रविन्द्रनाथ, माॅडर्न लिविंग किट: हेल्थ एण्ड फिटनेस, ओथर्स प्रैस, दिल्ली, 2001।

ऽ शर्मा, एन.पी., ए-जेड इलस्ट्रेटिड इनसाइक्लोपीडिया आॅफ हेल्थ एजूकेषन, खेल साहित्य केंद्र, नई दिल्ली, 2008।

ऽ मिश्रा, एस.सी., (इडी.), स्वास्थ्य एवं फिजिकल एजूकेषन, स्र्पोट्स पब्लिकेषन्स, नई दिल्ली, 2009।

ऽ टाटर, एस.आर. एण्ड यादव, अमरजीत, ‘‘योगा थरेपी’’, अविनाष पेपरबेक्स, दिल्ली, 2010।

ऽ यादव, अमरजीत, मैडिकल अप्लीकेषन्स आॅफ योगा, अविनाष पेपरबेक्स, दिल्ली, 2010।

ऽ नेगी, कुनाल, टेक यूअरसैल्फ योगा, स्र्पोट्स पब्लिकेषन्स, नई दिल्ली, 2010।

ऽ यादव, अमरजीत, योगा सपैक्ट्रम, अविनाष पेपरबेक्स, दिल्ली, 2011।

ऽ ठाकुर, जे.के., टीचिंग हेल्थ एजूकेषन, खेल साहित्य केन्द्र, नई दिल्ली, 2012।

ऽ पाटिल, एस.डी., ‘‘द इफैक्ट आॅफ योगिक प्रैक्टिसिस आॅन कार्डियो पलमोनरी एफिसेन्सी आॅफ स्कूल गल्र्स’’, व्यायाम विज्ञान, 46(1), फरवरी, 2013।

ऽ लुंगे, हनुमन्त आर., ‘‘योगा का शरीर पर प्रभाव’’, व्यायाम विज्ञान, 47(1), फरवरी, 2014।

Downloads

Published

2016-11-30