नरेन्द्र कोहली कथा सहित्य का ‘भाषा शिल्प’

Authors

  • डाॅ0 निलय गोस्वामी प्राचार्य, शासकीय महाविद्यालय इन्दरगढ़ जिला -दतिया, (म0प्र0)

Keywords:

Abstract

नरेन्द्र कोहली के कथा साहित्य का भाषा ‘शिल्प’ भाषा, भावों और विचारों के आदान और प्रदान की घोतक है भाषा, विचारों के संवाहन का सामाजिक माध्यम है और समाज की गतिशीलन इ्र्रकाई भी। समाज में मनुष्य केवल ऐसा प्राणी है जिसके पास सुनियोजित भाषा है। भाषा के माध्यम से विश्व की समस्त गतिविधियों को सम्प्रेषित किया जा सकता है। भाषा के माध्यम से ही उसके गुणों को सुरक्षित रखा जा सकता है।
शिल्पकार शिल्प विधि के आतंरिक रूप की मद्द से मनः विश्लेषण द्वारा अपने भावों का कोना-कोना खोजकर रचना सामग्री को संकलित करता है और इसके वाहय रूप की सहायता से वह इस रचना सामग्री को रूपायित करता है। आम तौर पर देखा जाए मानवीय भावों, संवेदनाओं को रूपायित करना ही शिल्प विधि का लक्ष्य है। इसके लिए रचनाकार के पास एक मात्र विकल्प है, भाषा और लिपि। के माध्यम से ऐसा शब्द चित्र रूपायित करे कि पाठक के समीप मनोभाव शिल्प का एक सजीव, जीवंत चित्र प्रकट हो सके। रचनाकार की शिल्प विधि की सफलता उसके द्वारा खींचे गये शब्द चित्र, सजीवता एवं स्पष्टता पर निर्भर करती है।

 

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Published

2017-03-31

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Articles