ई.वी.एम. पर आक्षेप: कितना सही

Authors

  • डाॅण् कृष्णगोप मिश्र सहायक.प्राध्यापक ;हिन्दीद्ध उच्च शिक्षा उत्कृष्टता संस्थानए भोपाल . मण्प्रण्

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Abstract

एक पुरानी कहावत है - ‘नाच न आवै आँगन टेढ़ा’। इसका सीधा सा अर्थ है -- अपनी त्रुटि अथवा अक्षमता के लिए अन्य को दोषी ठहराना । यह बड़ी सहज मानव प्रवृत्ति भी है कि मनुष्य स्वयं को निर्दोष सिद्ध करने और आरोप मुक्त बनाने के लिए अपनी गलतियाँ दूसरों के सिर पर मढ़ देता है। विगत कुछ महीनों में आए चुनाव परिणामों के अनन्तर ई.वी.एम. पर किया गया आक्षेप भी ऐसी ही मानवीय निम्नवृत्ति का परिचायक है। रोचक यह है कि हारे हुए लोग एक स्वर से ई.वी.एम. को दोषी ठहराने लगे हैं जबकि विजयी पक्ष दलीय भेदभाव त्यागकर ई.वी.एम. से चुनाव की निष्पक्षता का समर्थन कर रहें हैं। इस संदर्भ में उ.प्र. और पंजाब के चुनावों में विजयी नेता एकमत हैं , जबकि पराजित दलों के नेता परस्पर सर्मथन करते हुए अपनी पराजय का ठीकरा ई.वी.एम के माथे पर फोड़ रहे हैं।

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Published

2017-04-30

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Articles