ज़ाफरख़ानी बाज में राग विस्तार की प्रक्रिया

Authors

  • Gurdial Singh Gurdial Singh S/o S.Gurmukh Singh V.P.O. Sri Bhaini Sahib Distt – Ludhiana Pin - 141126

Abstract

भारतीय शास्त्राीय संगीत रागदारी प(ति पर आधरित है। इसलिए शास्त्राीय संगीत का प्रत्येक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन किसी न किसी राग के अन्तर्गत ही करता है। विभिन्न कलाकार अलग-अलग शैलियों के प्रस्तुतीकरण के लिए विभिन्न प्रक्रियाओं का प्रयोग करते हैं। इसी तरह ‘ज़ाफरख़ानी बाज’ में भी परम्परा के अनुसार राग प्रस्तुतीकरण की एक विशिष्ट विध् िहै, जिस के अन्तर्गत बहुत सी विशेष तकनीकों का प्रयोग होता है। निम्न ‘ज़ाफरख़ानी बाज’ के स्रष्टा उस्ताद अब्दुल हलीम ज़ाफर ख़ाँ की सितार मिलाने की प(ति और राग विस्तार की प्रक्रिया और उस में प्रयुक्त होने वाली तकनीकों का पूर्ण रूप से वर्णन किया जा रहा है।

Downloads

Published

2014-06-30

Issue

Section

Articles