कृषि विकास में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की भूमिका

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  • अतुल कुमार द्व डाॅ0 बृजेश कुमार उपाध्याय एसो0 प्रोफेसर

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Abstract

भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि का विशेष महत्त्व प्राचीनकाल से रहा है। आज भी इस तथ्य को अस्वीकार नहीं किया जा सकता है कि कृषि देश के लोगों का मात्र जीविकोपार्जन का साधन नहीं है वरन् भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। देश के विभिन्न उद्योग-धन्धे, विदेशी मुद्रा का अर्जन, विभिन्न लोक कल्याणकारी परियोजनाएँ आदि कृषि पर ही आधारित हैं। देश का राजनैतिक स्थायित्व कृषि के उत्पादन पर ही निर्भर करता है। भारत में कृषि सर्वाधिक रोजगार प्रदान करने का स्रोत, राष्ट्रीय आय का मुख्य साधन एवं अनेक उद्योगों का मूल आधार है।
सन् 2011 की जनगणना के अनुसार देश की कुल जनसंख्या का 59 प्रतिशत भाग कृषि कार्य में लगा हुआ है। कृषि कार्य में लगे कृषक, कृषि श्रमिक एवं भूमिहीन कृषि श्रमिकों को अपनेे उत्पादन कार्य के लिए पूँजी की आवश्यकता हमेशा से रही है। अतः यह अनुभव किया गया कि कृषकों की सबसे प्रमुख समस्या पर्याप्त मात्रा में साख की अनुपलब्धता है। अतः लघु एवं सीमान्त कृषकों तथा भूमिहीन कृषि श्रमिकों की वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु बैंकिंग आयोग द्वारा 1972 में ग्रामीण बैंकों की स्थापना का सुझाव दिया गया। इस सुझाव की उपयुक्तता पर विचार करने के लिए गठित नरसिंहम् समिति ने भी कुछ चुने हुये क्षेत्रों में ग्रामीण बैंकों को खोले जाने को उचित बताया। नरसिंहम् समिति ने यह स्पष्ट किया कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में सहकारी संस्था व व्यापारिक बैंक दोनों ही के गुण विद्यमान होंगें। सितम्बर 1975 में ग्रामीण बैंक की स्थापना हेतु अधिनियम पारित किया गया जिसके अनुसार 2 अक्टूबर, 1975 को 4 राज्यों में 5 ग्रामीण बैंकों की स्थापना की गई।
ग्रामीण बैंकों का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र का विकास करना तथा इस क्षेत्र के पिछड़े वर्गों अर्थात् छोटे एवं सीमान्त कृषक, ग्रामीण कारीगर, खेतिहर मजदूर आदि को रियायती दर पर वित्तीय सुविधा उपलब्ध कराना, ग्रामीण क्षेत्र में साख सुविधाओं की कमी को दूर करना, ग्रामीणों की ऋणग्रस्तता को दूर करना, कृषि सम्बन्धी उद्देश्यों के लिए किसानों की सेवा समितियाँ बनाना, ग्रामीणों की जमा राशि स्वीकार करके ग्रामीण बचत को जुटाना तथा इस राशि को ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादन कार्यों के लिए उपयोग में लाना है।

References

 वार्षिक प्रतिवेदन ः इलाहाबाद यू0 पी0 ग्रामीण बैंक

 भारतीय बैंकिंग प्रणाली ः डाॅ0 वी0 सी0 सिन्हा, साहित्य भवन

 भारतीय अर्थव्यवस्था ः डाॅ0 चतुर्भुज मामोरिया साहित्य भवन पब्लिकेशन, आगरा

 भारतीय अर्थव्यवस्था ः डाॅ0 बद्री विशाल त्रिपाठी, किताब महल आगरा

 योजना, नई दिल्ली

 कुरूक्षेत्र, नई दिल्ली

 मुद्रा एवं वित्तीय प्रणालियों ः डाॅ0 जे0पी0 मिश्र, साहित्य भवन पब्लिकेशन, आगरा

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Published

2017-07-30

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