समाज के विकास में महिलाओं की भूमिका

Authors

  • कृष्ण कुमार तिवारी शोध छात्र, समाज कार्य, जैन विश्व भारती संस्थान (मान्य विश्वविद्यालय), लाडनू राजस्थान भारत

Keywords:

Abstract

नारी में अपरिमित शक्ति व क्षमताएँ विद्यमान हैं।व्यवहारिक जगत के सभीे क्षेत्रों उन्होंने अपने कीर्तिमान स्थापित किये हैं। अपने अद्भुत साहस, अथक परिश्रम तथा दूरदर्शी बुद्धिमत्ता के आधार पर वह विश्व पटल पर अपनी पहचान बनाने में कामयाब रहीं हैं।नारी की ताकत को हम 8 मार्च को हर वर्ष मनाकर नारी के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करते हैं। इस दिन के आस-पास महिलाओं की सुरक्षा और विशेष रूप से उनके खिलाफ होने वाले अपराध को विभिन्न सम्मेलनों कार्यशालाओं, रैलिओं, नाटकों, प्रतिज्ञाओं, विज्ञापनों के जरिये प्रचारित किया जाता हैं।इन सब बातों के अलावा इस बात की जरूरत है कि सभी महिलाएँ एकजुट प्रयास के जरिये अपनी अपनी सामूहिक ताकत को साकार करें व उपयोगी कार्य में लगायें।
इन में से एक काम भ्रष्टाचार के खिलाफ व अपनी सुरक्षा के लिए लडाई भी हो सकती हैं । एक बोट बैंक के रूप में महिलाओं के लिए बहुत जरूरी हैं कि वे देश की लोगों की ताकत बन जाऐ।निश्चित रूप से कुछ बदलाव समाज में आये हैं पर अभी बहुत कुछ होना बांकी है। इस वर्ष महिलाओं को यह निश्चित करना होगा कि वे अपनी जागरूकता को बढायें व महिलाओं को निजी तैार पर अपने जीवन को अपने हाथों लेना होगा क्यों कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य व संम्पदा उनके दृढ़ निश्चय की ताकत पर निर्भर करेगी ।
भारतीय संविधान में महिलाओं के लिए विशेष अधिकार दिये गये है। सम्मपति का अधिकार,समानता का अधिकार आदि होने के बावजूद अधिकाश्ंातः उनकी स्थिति दोयम ही है देश की 80 फीसदी आवादी ग्रामीण क्षेत्रों में बसती है । ग्रामीण क्षेत्र¨ं की महिलाओं को संविधान में निहित उनके अधिकारों के लिए जागरूक नहीं किया जा रहा हैं देखा जाए तो महिला दिवस कुछ महिलाओं विशेष के बीच भी सिमट कर रह गया है । हर साल गिनी चुनी महिलाओं को ही मंच पर संम्मानित कर इस कार्य की इति श्री कर ली जाती है। जब कि आम महिलाओं को इस दिवस के बारे में क¨ई जानकारी तक नहीं होती है।

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Published

2017-06-30

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