यक्तित्व विकृति की रोकथाम और सुधार (उपचार में) (दवा और परामर्ष प्रक्रिया के संदर्भ में)

Authors

  • डाॅ. रत्ना जौहरी मनोपरामर्शक शासकीय स्वषासी मानकुंवरबाई कला एवं वाणिज्य महिला महाविद्यालय जबलपुर (म.प्र.)

Keywords:

भावनात्मक, मानसिक, विकृति

Abstract

व्यक्तित्व अत्यंत विस्तृत अध्ययन का विषय है जो प्रत्येक व्यक्ति में अलग-अलग विकसित होता है जितने व्यक्ति उतने प्रकार के व्यक्तित्व। इसमें स्वतः ही मानसिक, सामाजिक, शारीरिक तथा भावनात्मक पक्ष सम्मिलित होते हैं आज यहां शारीरिक रोगों की संख्या में वृद्धि हुई है। वहीं मानसिक उद्वेष जैसे चिंता, ईष्र्या, घृणा, अवांधित आपसी संदेह जैसी समस्याओं में वृद्धि हुई है जिसे व्यक्तितव विकृति के रूप मंें देखा जा सकता है। वर्तमान में व्यक्तित्व विकृति जन सामान्य एवं मनोचिकित्सकों मनोविषेषज्ञों में भी विषेष जिज्ञासा का विषय है व्यक्तित्व विकृति से लगभग 5,000,00 रोगी प्रतिवर्ष ग्रसित होते जा रहे हैं अतएव इतनी जटिल तथा महत्वपूर्ण समस्या का वैज्ञानिक विवेचन एवं अध्ययन आज के युग में एक अनिवार्य आवष्यकता है।

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Published

2014-06-30

Issue

Section

Articles