दलित महिलाओं पर अत्याचार

Authors

  • Jitendra Choudhari Rani Durgawati University ,Jabalpur

Keywords:

दलित, उपेक्षा, जनसामान्य

Abstract

दलित एक विशुद्ध भारतीय अवधारणा है, जिसका प्रयोग संवैधानिक रूप से परिभाषित अनुसूचित जातियों और जनजातियोें के उस समूह से लिया जाता है, जो तथाकथित रूप से उपेक्षा, शोषण और उत्पीड़न का शिकार हुआ है। आजकल 'दलित' शब्द का प्रयोग ऐसे व्यकितयों के लिये किया जा रहा है जिन्हें अमानवीय व्यवहार, अन्याय, भेदभाव, सामाजिक निर्योग्यताओं, सामाजिक प्रताड़ना, राजनीतिक एवं आर्थिक वंचनाओं और असुविधाओं के लम्बे दौर से गुजरना पड़ा है।'दलित वर्ग' शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग 1920-30 के आस-पास हुआ, किंतु 1973 के बाद यह एक जनसामान्य शब्द बन गया।1 यह अत्यंत चिंताजनक विषय है, हमारे देश में स्त्री जाति का संबंध समाज के एक ऐसे वर्ग या समुदाय से है। जिसकी दशा, उनके सामाजिक कुरीतियों एवं अवरोधों के कारण अत्याधिक दयनीय बन चुकी है। बहुधा सित्रयों को पुरूषों द्वारा कारित किये जाने वाले अत्याचारों का शिकार होना पड़ता है।3

References

संदर्भ ग्रंथ-सूची

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Published

2014-01-31