महिला सशक्तिकरण और नेतृत्व

Authors

  • डाॅं0 कुमारी वं वंदना पीएचडी, (राजनीति विज्ञान) पटना विश्वविद्यालय, (बिहार)

Keywords:

Abstract

महिला सशक्तिकरण और महिलाआंे के नेतृत्व का अर्थ महिलाओं की उन क्षमताओं से है जिनसे उन्हें अपने जीवन से जुड़े सभी निर्णय लेने की योग्यता आ सके।
भारत में महिलाओं के नेतृत्व को कम नही आंका जा सकता है। अपने क्षेत्र में खास उपलब्धियाॅं हासिल करने वाली कुछ महिलाओं का उदाहरण देकर हम महिलाओं की उन्नति को दर्शाते है। सीता से द्रोपती, रजिया सुल्तान से लेकर रानी दुर्गावती, किरण बेदी, सानिया मिर्जा इत्यादि चंद महिलाओं के अलावा कितना परिवर्तन आया ?
वैश्विक स्तर पर नारीवादी आंदोलनों और यू.एन.डी.पी. आदि अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने महिलाआंे के सामाजिक समता, स्वतंत्रता और न्याय के मसले पर नेतृत्व को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है। शासन द्वारा कई शासकीय सेवाओं में उचित सहभागिता के लिये सीटे आरक्षित की गई है। सरकार को महिलाओं के वास्तविक विकास के लिये पिछडे ग्रामीण क्षेत्रों मंे जाना होगा साथ ही महिलाओं के प्रति हमारी सोच को विकसित करना होगा ।
महिलाओं को परस्पर सशक्त बनाना न केवल समानता के लिये आवश्यक है, उन्हें भी नेतृत्व सौंपा जाये सभी स्तर पर सरकारी प्रणालियों, बैंकों और अन्य संस्थानों के साथ कार्य करने हेतु महिलाओं को सशक्त बनाना है।
नेतृत्व क्षमता विकास प्रशिक्षण संविधान और विभिन्न अधिनियमांे के अन्तर्गत शिक्षा, रोजगार, अजीविका इत्यादि के संबंध में और जागरूकता एवं कार्यवाही की आवश्यकता है। पंचायती राज और नगर पालिका में महिलाओं की भूमिका, महिलाओं के कानूनी अधिकार, मनरेगा, घरेलू सर्वेक्षण में नेतृत्व को बढावा दिया जाये।

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Published

2017-06-30