शासकीय एवं अशासकीय विद्यालयों के किशोर छात्र-छात्राओं की बुद्धि एवं सृजनात्मक चिंतन क्षमता के मध्य संबंध का अध्ययन

Authors

  • श्रीमती डिम्पल वर्मा अतिथि व्याख्याता, शिक्षा विभाग रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर

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Abstract

वर्तमान में संपूर्ण विश्व तीव्र गति से हो रहे परिवर्तनों का सामना कर रहा है। तेजी से बदलते इस युग में बढ़ती प्रतियोगिता के कारण जीवन जटिल होता जा रहा है। मनुष्य को जीवित रहने के लिये नित नया करते रहना अतिआवश्यक है। इसे सृजनात्मक सोच कहते हैं। सृजनात्मक व्यक्तियों की उपलब्धि का मूल्यांकन आसानी से नहीं हो पाता क्योंकि वे ऐसा उत्पादक कार्य करते हैं जो कोई नहीं कर पाता। एक देश के विकास में भौतिक संसाधनों से ज्यादा मानवीय संसाधनों पर उच्च क्षमताओं वाले बुद्धिजीवियों  के कंधों पर प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करने की जिम्मेदारी है। प्रत्येक व्यक्ति में बौद्धिक क्षमता का स्तर अलग अलग होता है तथा समान बौद्धिक स्तर के लोगों में भी अलग-अलग प्रकार की योग्यताऐं होती है। बुद्धि एवं सृजनात्मकता के मध्य संबंधों का अध्ययन कई मनोवैज्ञानिकों ने किया है - मारग्यूस सी.वी. एवं अन्य (2015) ने इनमें संबंधों को पाया है। जाॅक इमैन्युअल एवं अन्य (2013) ने अपने अध्ययन में पाया कि बुद्धि का प्रभाव सृजनात्मकता को कम या ज्यादा प्रभावित करता ही है। इसी प्रकार पालानिअप्पन कुमार आनंद ने शैक्षिक उपलब्धि बढ़ाने के लिये सृजनात्मकता को माध्यम बनाने की बात कही है। अतः यह आवश्यक हो जाता है कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में किशोरों की बौद्धिक क्षमता एवं सृजनात्मक चिंतन के मध्य संबंधों का अध्ययन किया जाये जिससे विद्यार्थियों को उचित मार्गदर्शन प्रदान किया जा सके ।

References

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- Journal of General Psychology, 2015.

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Published

2017-06-30