ग्रामीण शिक्षा की बदलती तस्वीर

Authors

  • तुलसी दास बंजारे शोधार्थी, वाणिज्य, रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.)

Keywords:

Abstract

यदि हमें राष्ट्र का निर्माण करना है तो हमें गांवों से शुरूआत करनी होगी’’ प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के इस वक्तव्य से ही जाहिर है कि सरकार की सोच गांवों की शिक्षा को लेकर क्या है ? ग्रामीण शिक्षा पर ध्यान दिये बिना राष्ट्र का सर्वांगीण विकास नहीं हो सकता। इसलिये न सिर्फ केन्द्र, बल्कि राज्य सरकारों ने ग्रामीण शिक्षा के मोर्चे पर देश को बेहतर माहौल देने की दिशा में तमाम तरह के कार्यक्रम बना रही है।
विवेकानंद ने कहा था कि शिक्षा और ज्ञान के बिना आजादी नहीं मिल सकती। शिक्षा ही वह हथियार है जिसके सहारे अज्ञानता के गहन अंधकार से मानवता बाहर निकलकर आजादी की नई सांस ले पाती है।
शिक्षा के महत्व को गांधी जी ने भी समझा था, तभी उन्होंने 1937 में राज्यों के भावी शैक्षिक स्वरूप पर विचार करने के लिये 22-23 अक्टूबर को वर्धा में अखिल भारतीय शैक्षिक सम्मेलन आयोजित किया जिसकी अध्यक्षता उन्होंने खुद की।
वर्तमान में केन्द्र सरकार एवं राज्य सरकारें शिक्षा के लिए नई-नई योजनायें एवं नई शिक्षा नीति लाकर ग्रामीण शिक्षा की तस्वीर बदल रही है।

References

-

Downloads

Published

2017-06-30