भारत का समावेषी विकास: एक अनोखा लक्ष्य’

Authors

  • मुकेश रोशन शुक्ला (एम.ए.भूगोल नेट-2011,नेट-2012) जवाहर नवोदय विद्यालय बीकर, जिला-दतिया (म.प्र.)

Abstract

भारत एक लोकतांत्रिक एवं लोककल्याणकारी राज्य है,जिसका मूलभूत उद्देष्य देष की जनता का चहुमुखी विकास एवं कल्याण के लिए कार्य करना है। इसी भाव से प्रेरित होकर भारत सरकार ने समावेषी विकास का लक्ष्य निर्धारित किया है। समावेषी विकास की सकल्पना से हमारा तात्पर्य उन लोगों को विकास पथ पर लाना है, जो विकास प्रक्रिया से वंचित रह गये। भारत देष की कुल आबादी का 68.8ः ग्रामीण 48.2ः महिलाऐं,60ः कृॉाक,21.9ः गरीब,16.6ः अनुसूचित जाति 8.6ः अनुसूचित जनजाति, 13ः मुस्लिम,13.6ः 0-6 तक के बच्चों की भागीदरी है। किन्तु दुर्भाग्यवष यही वर्ग सामाजिक एव वित्तीय बहि‛करण से पीडि़त है। तदानुसार सरकारी नीतियाँ इन वर्गों के आर्थिक और सामाजिक उत्थान के लिए बनाइ्र गई, ताकि प्रत्येक वंचित वर्ग को संवृद्धि का वास्तविक लाभ मिल सके एवं वंचित वर्ग समाज की मुख्यधारा में षामिल हो सके। सामान्यतः समावेषी विकास चैथी पंचवर्‛ाीय योजना से ही आरम्भ हो गया था, किन्तु 11वीं पंचवर्‛ाीय योजना में तीव्रतर और अधिक समावेषी विकास प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया, और 12वीं पंचवर्‛ाीय योजना 2012-17 में इसे जारी रखते हुए समावेषी विकास को तीव्रतर बनाने का मुख्य लक्ष्य रख गया। समावेषी विकास की संकल्पना गरीबी उन्मूलन कर मात्र आर्थिक विकास करना नहीं है, बल्कि समाज के सभी वर्गों का आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं क्षेत्रीय विकास करना है।’

References

संदर्भ ग्रन्थः- 1.परीक्षा मंथन वर्‛ा 2014 2.परीक्षा वाणी वर्‛ा 2014 3.दक्ष प्रकाषन वर्‛ा 2014 4.क्रानिकल-वार्‛िाकी 2013-14

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Published

2014-07-31

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