महिलाओं के प्रति सामाजिक न्याय तथा मानवाधिकार

Authors

  • Jyoti Baghel Research Scholar Political Science Depat RDVV Jabalpur

Abstract

मानव समाज के एक हिस्से के दो पहलू है नर और नारी दोनों ही एक दूसरे के पूरक है। जीवन रूपी रथ के ये दो पहिये के समान है। मानव अधिकारों की सार्वभोमिक धोषणा के भेदभाव कोन करने के सिधांत भी पुषिट की थी और यह धोषणा की गर्इ थी किस भी मानव स्वतेत्रता जन्म लिये हे तथा गरिमा एवं अधिकार के क्षेत्र में समान है बिना किसी भेदभाव के जिसमें लिग पर आधारित भेदभाव समिमलित है सभी अधिकारों ण्वं स्वतंत्रताओ के हकदार है। फिर भीइस बात को नही नकारा जा सकता है कि महिलाओ के पिरूध्द भेदभाव होता रहा है जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में प्रत्+येक पक्ष में महासभा में 7 नबम्बर 1967 को महिलाओं के विरूध्द भेदभाव की समापित की धोषणा में प्रस्तावित सिधांतो के कार्यानिवयन के लिये महिलाओं के विरूध्द सभी प्रकार के भेदभाव की समापित पर एक अभिसमय 18 दिसम्बर 1979 की महा सभा द्वारा मान्य किया गया। प्रस्तुत ‚ाोध पत्र महिलाओ के प्रति सामाजिक भेदभावों एवं न्याय समाज ‚ाास्त्रीय वि‛लेषण प्रस्तुत कर रही हैं तथा मानवाधिकार के प्रतिपादन के पुलिस की भूमिका पर भी ध्यानाकर्षित करती है।

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Published

2014-01-31