GOOD GOVERNANCE PROBLEM AND CHALLENGES IN INDIA (IN THE CONTEXT OF GLOBAL DEVELOPMENT)

Authors

  • Madan Murari Prajapati Research Scholar Economics Research Center (R.D.V.V.) Jabalpur M.P.

Keywords:

Abstract

शासन आदिम युग की कवीबाई संस्कृति से लेकर आज तक की आधुनिक मानव सभ्यता विकास क्रम में अलग-अलग विषिष्ट रूपों में शासन प्रणाली के तौर पर विकसित और स्थापित होती आई है। इस विकास क्रम में परंपराओं से अर्जित ज्ञान और लोक कल्याण की भावनाओं की अवधारणा प्रबल प्रेरक की भूमिका में रही है। स्वतंत्रता के पूर्व महात्मा गांधी के सुषासन की अवधारणा में लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण अनिवार्य था। परंतु 1990 के दषक के प्रारंभ में सुषासन का विचार एक ऐसे महावरे में बदल चुका था जो एषिया और अफ्रीका के ऋणग्रस्त देषों के लिए दानदाता देष ष्शर्तों के रूप में इस्तेमाल करते थे। विष्व के अनेक भागों में इसे सामाजिक अषांति और राजनीतिक उथल-पुथल के लिए दोषी ठहराया जाता था। दमन और ष्शक्ति के दुरूपयोग से मुक्त सुषासन की अवधारणा आज आकर्षण का विषय बनी हुई है। इसे राजनीतिक और प्रषासनिक संरचना के जटिल संबंधों के बीच सहभागी विकास निर्णय लेने की प्रक्रिया में पारदर्षिता, योजनाओं के क्रियान्वयन और अंर्तसम्बंधों के रूप मंे देखा जाना चाहिए। क्योंकि यह सही है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया एवं योजनाओं के क्रियान्वयन से समाज के एक बड़े वर्ग के दूर रहने से प्रषासन गैर-जिम्मेदार हो जाता है और शोषणकारी प्रणाली को जन्म देता है। सुषासन एक गतिषील धारणा है यह केवल सरकार के लिए चिंता का विषय नहीं होना चाहिए। समाज और सरकार के बीच निरंतर और निर्णायक चर्चा अति आवष्यक है ताकि सुषासन के सिद्धांतों को प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किया जा सके।

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Published

2017-07-31

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