प्रयोजनमूलक हिन्दी की अधतन सिथति (आर्थिक विकास के विशेष सन्दर्भ में)

Authors

  • Manish Khare (Maharishi Mahesh Yogi Vedic Vishwavidyalaya, Jabalpur)

Keywords:

गौखमयी, भारत-भ्ूामि, मानक

Abstract

प्रयोजनमूलक हिन्दी भाषा की आर्थिक विकास में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है और आर्थिक विकास के लिए शिक्षा में भाषा की सरलता महत्वपूर्ण है। मानव सभ्यता की सबसे महत्वपूर्ण उपलबिध भाषा है । भाषा संमृति की संवाहिका है । किसी भी देश का प्रतिनिधित्व उस देश की संस्कृति और भाषा होती है । हिन्दी का जन्म इस गौखमयी भारत-भ्ूामि के उदर से हुआ है इसलिए इसमें भारत की आत्मा सनिनहित है। हिन्दी की वाणी में भारत बोलता है भारतीय संस्Ñति बोलती है।

References

सन्दर्भ :

ण् भार्इ योगेन्द्र जीत - हिन्दी भाषा शिक्षण

ण् हिन्दी भाषा और विज्ञान बोध - म.प्र. हिन्दी ग्रन्थ अकादमी

ण् राजस्थान पत्रिका जयपुर -08 सितम्बर 1996

ण् मुकितबोध -अशोक चक्रधर

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Published

2014-01-31