''एहसास-ए-जिन्दगी (काव्य व गज़ल संग्रह) में प्रस्तुत समय और समाज सापेक्ष चिंतन

Authors

  • Gopal Meena Asst Professor,Hindi Litrature ,Swami Shradanand College Alipur,New Delhi -36

Abstract

अभी हाल ही में नवोदित और उभरते कवि âदय रामप्रीत 'आनन्द का काव्य एंव गज़ल संग्रह पढ़नें का अवसर प्राप्त हुआ। जो बाबा पबिलकेषन, जयपुर से 2013 में प्रकाषित है। इस रचना में कुछ कविताए,कुछ गज़ले और नगमों को सिलसिलेवार माला के मणिकों की तरह पिरोनें का काम 'आनन्द नें किया है। जिनके माध्यम से 'आनन्द के कवि âदय की विषालता का ही परिचय नहीं मिलता अपितु उनके मुखर, यषस्वी, समर्पित और भाव प्रवणता का परिचय मिलता है। कवि 'आनन्द ने वैसे तो भारतीय समाज के लगभग सभी पक्षों को छूनें और व्यक्त करनें का प्रयास किया है। जिसमें कवि 'आनन्द की बहुआयामी सोच और दृषिट का परिचय यह रचना अपनें पाठकों से कराती है। इस रचना को पढ़ते समय कभी कवि âदय की विषालता और परिपक्वता का परिचय होता है, तो कभी प्रकृति के प्रति संवेदनषीलता का। कभी कवि 'आनन्द अपने देष के प्रति समर्पित दिखार्इ देते है। कभी राष्ट्रीय भावनाओं के प्रति मुखर होते है। कभी प्रेम का आकर्षण और कभी विकर्षण पर âदय की टसक और कसक दिखार्इ देती है। कभी राजनीति को कोसते दिखार्इ देते है तो कभी इंसानी फितरतों को व्यक्त करते मिलते है। जो भी हो रचनापाठ से गुजरते हुए कवि मन के विभिन्न भाव पक्षों का परिचय जरूर पाठकों होता है। कर्इ बार तो वे समाज सुधारक और षिक्षक के रूप में तो कभी परिपक्व नेता के रूप में उदबोध नही कवि 'आनन्द नहीं करते बलिक सीधा सामनें पड़नें वालों को फटकार भी लगाते हुए दिखार्इ देते है। यह तो पूरी तरह नहीं कहा जा सकता है, लेकिन फिर भी रचनाओं से परिचय होता है कि शायद यह कवि का अपना भोगा हुआ यर्थाथ है। ऐसा सुधि पाठकों के मन में विचार आना स्वाभाविक है। एक परिपक्व उदबोधक का दायित्व कवि 'आनन्द अच्छी तरह समझते है और अपनी रचना की शुरूआत जगत जननी वसुधंरा और ''धरती मा की वंदना से करते हुए कहते है-

Downloads

Published

2014-01-31