कानपुर महानगर में जलप्रदूषण एवं उसके उपचार की नवीन तकनीके
Abstract
आज प्रदूषण प्रत्येक क्षेत्र में अपना प्रभाव फैला चुका है। गाँव नगर तथा महानगर सभी प्रदूषण की दयनीय अवस्था में है। औद्योगिक उत्पादन की होड़ में महानगर की औद्योगिक इकाईयों द्वारा प्रतिवर्ष लाखों टन मालवा नगरीय पर्यावरण में डाला जाता है जिससे प्रदूषण की सान्द्रता में वृद्धि हो रही है। उत्तर भारत का मानचेस्टर कहलाने वाला कानपुर महानगर उत्तरप्रदेष का सबसे प्रदूषित नगर है। विष्व स्वास्थ संगठन ;ॅण्भ्ण्व्ण्द्ध ने कानपुर नगर को जीवन की विकटतम परिस्थितियों वाला विष्व का 5वाँ शहर माना है।
कानपुर महानगर उत्तर भारत का एक महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र है जो गंगा नदी के किनारे बसा है। औद्योगिक विकास की बली चढ़ती जा रही है सुनियोजित विकास के अभाव और प्रदूषण बोर्ड की लापरवाही के चलते गंगा नदी का जल अत्यधिक प्रदूषित होता जा रहा है। चयनित औद्योगिक क्षेत्रों में तो भूमिगत जल भी पीने याग्य नहीं रह गया है। कानपुर महानगर में जल प्रदूषण के आकलन हेतु विज्ञान की नवीन तकनीकों एवं उपकरणों का उपयोग किया गया है। चार औद्योगिक क्षेत्रों से जल के नमूने लेकर उनकी प्रयोगषाला में जाँच करवाई गई और उनके प्रदूषण का स्तर ज्ञात किया गया जिसमें फजलगंज एवं पनकी क्षेत्र का जल सर्वाधिक प्रदूषित पाया गया। जल प्रदूषण के आकलन हेतु कानपुर महानगर के चार क्षेत्रों ;दादानगर, जाजमउ, पनकी एवं फजलगंजद्ध से जल के नमूने लेकर प्रयोगषाला में जाँच करवाई गई जिसमें फजलगंज एवं पनकी अधिकतम प्रदूषित क्षेत्र है। जल में घुलित ठोस कण कैल्षियम कार्बोनेट एवं क्लोराइड की मात्रा लगभग सभी क्षेत्रों में मानक स्तर से अधिक पाई गई। समुचित जल उपचारण या शोधन के अभाव में गंगा का जल प्रदूषित हो रहा है तथा प्रदूषित जल को पीने से मानव स्वास्थ अत्यधिक प्रभावित हो रहा है।
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