उच्च शिक्षा के गुणात्मक विकास में निजी विश्वविघालयों की भूमिका
Abstract
शिक्षा ककसी भी राष्ट्र के शिकास का सबसे प्रमुख श्रोत है। यह ककसी भी राष्ट्र की ईन्नशत ऄथिा ऄिनशत का द्योतक है। स्िामी शििेकानन्द का यह कथन कक ‘‘हमारा देि ईन्नशत क्यों नहीं कर रहा है? क्योंकक आसमें शिक्षा का ऄभाि है। ऄतः यकद देि को प्रगशतिील बनाना है तो सिशप्रथम हमें जनसाधारण को शिशक्षत करना होगा“। ऄतएि यह स्पष्ट है कक ककसी भी राष्ट्र में योग्य एिं कुिल नागररकों के ईशचत शनमाशण या शनसंतुशलत शिकास का ईत्तरदाशयत्ि शिक्षा पर है। शिक्षा द्वारा ही व्यशि की अदतों, प्रिृशत्तयों, ऄशभिृशत्तयों एिं दक्षताओं अकद का शिकास होता है। डा. ए.एस. अल्तेकर ने कहा है कक ‘‘शिक्षा प्रकाि का िह श्रोत है जो जीिन के शिशभन्न क्षेत्रों में हमारा सच्चा पथ प्रदिशन करती है।“References
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