शिक्षक एवं शिक्षिकाओं के शाब्दिक व्यवहार का शिक्षण प्रभावशीलता पर प्रभाव का अध्ययन

Authors

  • श्रीमती अरूणलत शाही

Abstract

शिक्षा आदिकाल से चली आ रही प्रक्रिया है,जिससे मनुष्य अपने अन्दर निहित मानसिक प्रवृत्तियों का विकास कर अपने व्यक्तित्व को सच्चे अर्थों में मानवता का आवरण देता है। शिक्षा का महत्व इतना अपार है कि उसको प्रदान करने वाला शिक्षक भी स्वाभाविक रूप में अपार महत्ता सम्पन्न होगा। शिक्षक समाज का एकमात्र ऐसा शक्ति होता है, जो बालक की नागरिकता की शिक्षा सच्चे अर्थो में देता है। बालक जो कि अपने अन्दर पाश्विक प्रवृत्ति लिए होता है, उसे शिक्षक ही पर्याप्त मानव बनाने का दायित्व रखता है। विद्यालयों में शिक्षक, शिक्षण के माध्यम से ही छात्रों के व्यवहार में परिवर्तन कर उसे समाजोपयोगी बनाता है। निःसन्देह किसी भी राष्ट्र के निर्माण में शिक्षक की केन्द्रीय भूमिका होती है। कोठारी कमीशन (1964) के अनुसार ’’भारत के भाग्य का निर्माण विद्यालयों की कक्षाओ ंमें हो रहा है।’’

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Published

2021-06-30

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Articles