किशोरों के शरीर दुष्क्रिया आकृति-विकृति पर विज्ञापन का प्रभाव

Authors

  • जोगेन्द्री पठा डॉ. अर्चना चतुर्वेदी

Abstract

वर्तमान समय विज्ञापन का युग है, ये हमारे जीवन का एक ऐसा महत्वपूर्ण भाग है, जो हमें जाने-अनजाने न जाने कितनी जानकारी दे जाता है, साथ हमें कुछ नई जानकारियों को जानने का अवसर भी प्रदान करता है। वर्तमान जगत में विज्ञापन के कई माध्यम जैसे समाचार पत्र, पत्रिकाएँ, टी. वी. विज्ञापन, रेडियो विज्ञापन, आउटडोर विज्ञापन, ब्लॉग और इंटरनेट। आज इंटरनेट ने संपूर्ण विश्व को एक वैश्विक गाँव का रूप दे दिया है। आज के किशोर भी इन सुविधाओं का पूरा लाभ उठा रहे हैं, इंटरनेट ने फैशन की दुनिया में एक क्रांति ला दी है। फिल्मी हीरो, हीरोईन, मॉडल आदि इंटरनेट में विज्ञापन के माध्यम से किशोरों को दिग्भ्रमित कर रहे हैं। जिस कारण किशोरों में अपनी शरीर छवि में कमियाँ लगने लगती हैं जो धीरे-धीरे उनमें एक मानसिक रोग में परिवर्तित होती जाती हैं। जब वह कमियाँ चिंता का रूप ले लेती हैं, तब वे स्वयं को असहाय पाकर शरीर दुष्क्रिया-आकृति विकृति से ग्रसित हो जाते हैं। प्रस्तुत शोध कार्य में किशोर एवं किशोरियों के सम्मिलित समूह के शरीर दुष्क्रिया आकृति-विकृति में विज्ञापन के प्रभाव का अध्ययन किया गया है।

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