मीडिया की भूमिका आतंकी घटनाओंके सम्बन्ध में

Authors

  • निखिल कुमार सिह

Abstract

एक प्रसिद्ध उक्त है - ‘सूचना ही षक्ति है।‘ यह षक्ति अमरीका, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस की हो या फिर आतंकवादियों की आज मीडिया जिस तरह से ऑपरेट होता है उसके चरित्र को देखकर यह सहजता से कहा जा सकता है कि इसे किसी भी तरह की षक्ति संचालित कर सकती है। यह एक ऐसा भूखा दैत्य है जिसे हर क्षण अपनी भूख के लिए खबरे और सूचनाएं चाहिए। वह जिस तरह इराक युद्ध में अमरीका के साथ हो जाता है तो अमरीका के ऊपर आतंकवादियों के हमले के समय काफी हद तक उनको भी उतनी ही उदारता से समय देता है बारीक तहों में मीडिया का अपना एक आतंकवाद है। मीडिया को ऑपरेट करने वाले भी है और बहुराष्ट्रीय कंपनिया अपने वैष्विक हितो के लिए युद्ध और आतंकवाद को प्रायोजित करने में कोई संकोच नहीं करती। इसके पीछे एजेंडा सेटिंग की अवधारणा काम करती है। इस अवधारणा का तात्पर्य है कि मीडिया द्वारा मुद्दों का निर्माण किया जाता है। वह लोगों को बताता है कि आज कौन-सा मुद्दा सबसे महत्वपूर्ण है तथा कौन से मुद्दे गौण है। संचार विषेषज्ञों के अनुसार मीडिया कुछ मुद्दों को ज्यादा महत्व देकर षेष मुद्दों की उपेक्षा करता है। इससे जनमत भी प्रभावित होता है। लोगों को मीडिया से ही पता चलता है कि कौन से मुद्दे प्रमुख है तथा उनकी प्राथमिकता क्रम क्या है।

References

मनोहरलाल बाथम षिवचरण विष्वकर्मा: आतंक वाद चुनौती और संघर्ष 2008: पृ0 211 2. अमरीकी पत्रकार वाल्टर लिपमैन ‘पब्लिक ओपिनियन’ 1922 3. जगदीष्वर चतुर्वेदी: युद्ध ग्लोबल संस्कृति और मीडिया, 2005ः पृ 28 4. ए0बी0सी वर्ल्ड न्यूज टु नाई, सीबीएस इवनिंग न्यूज और एनबीसी नाइटली न्यूज, 2001 5. मेजर जनरल विनोद सहगल: अंतराष्ट्रीय आंतकवाद, 2009 पृ0 198 6. दि इंडियन एक्सप्रेसः 28 अगस्त, 2002 7. सुधीरा पचौरी: मीडिया जनतन्त्र और आंतकवाद, 2005 पृ0 195 8. जॉज गर्बनर यूनिवर्सिटी ऑफ पेन्सीलवेनिया, एनीनबर्ग स्कूल ऑफ कम्यूनिकेषन, षोध 1976 9. विष्णु राजगढ़िया: जनसंचार सिद्धांत और अनुप्रयोग, 2008, पृ0 91

Downloads

Published

2019-05-30

Issue

Section

Articles