छत्तीसगढ़ी लोक गीतों की परम्परा में पर्व गीत

Authors

  • डॉ. श्रीमती गायत्री साहू

Keywords:

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Abstract

पर्वगीत& छत्तीसगढ़ में जहाँ देश के प्रमुख पर्व प्रचलित हैं, वही लोक जीवन से रंजित एवं लोक मानस की आशा एवं विश्वास के प्रतीक विभिन्न पर्व प्रचलित है।  छत्तीसगढ़ी पर्व गीतों में भोजली, सुवा,गौरा,कर्मा, मड़ई, होरी, डंडा और जँवारा गीत प्रमुख है।

भोजली - भोजली छत्तीसगढ़ का शाक्त परंपरा का प्रतीक है।  इसमें बालिकाएँ और युवतियाँ भोजली के प्रति अनन्य श्रद्धा का भाव रखते हुई सुखद भविष्य की याचना करती है।  भोजली कृषि संस्कृति से अनुप्राणित और दो आत्माओं के मिलन का प्रतीक है।  भोजली गीत की अधोलिखित पंक्तियों में बालिकाएँ और युवतियाँ निश्छल आराधना की अभिव्यक्ति करती है -

References

छत्तीसगढ़ के परिनिष्ठित एवं लोक साहित्य की तुलनात्मक एवं सांस्कृतिक अध्ययन - डॉ विनय कुमार पाठक, पृष्ठ - 165

छत्तीसगढ़ी में प्रयुक्त परिनिष्ठित हिंदी और इतर भाषाओं के शब्दों में अर्थ - परिवर्तन - डॉ विनय कुमार पाठक, पृष्ठ - 22 -23

करमा गीतों का लोक तात्विक अनुशीलन - देवधारदास महंत , परिशिष्ट

छत्तीसगढ़ी में प्रयुक्त परिनिष्ठित हिंदी और इतर भाषाओं के शब्दों में अर्थ - परिवर्तन - डॉ विनय कुमार पाठक, पृष्ठ - 96

श्री शुक्ल अभिनन्दन ग्रन्थ - कला साहित्य खंड , पृष्ठ - 141

छत्तीसगढ़ी में प्रयुक्त परिनिष्ठित हिंदी और इतर भाषाओं के शब्दों में अर्थ - परिवर्तन - डॉ विनय कुमार पाठक, पृष्ठ - 23

छत्तीसगढ़ी लोक जीवन और लोक साहित्य का अध्ययन - डॉ शकुंतला वर्मा , पृष्ठ 150

वहींपृष्ठ 155

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Published

2019-05-30

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Articles