ध्यान से ज्यादा बहूमूल्य कोई चीज नहीं - ओशो

Authors

  • कु. सरला साहू एम.ए. गोल्ड मेडलिस्ट, एम.फ्लि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय, जबलपुर (म.प्र.)

Keywords:

सर्वविदित, प्रतीति, नाॅन-यूटिलिटेरियन, प्रविष्टि, सम्यक दृष्टि, अस्मिता।

Abstract

जनसंख्या वृद्धि की तीव्र गति, सूचना प्रोद्योगिकी के अभूतपूर्व विकास, कम्प्यूटीकरण, अभूतपूर्व तीव्र आवागमन एवं संदेश वाहन, एवं विश्व स्तर पर मानव अन्र्तक्रिया के वर्तमान युग में मनुष्य मंे तनाव का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। और मानसिक आरोग्यता को बनाये रखना कठिन से हो गया है। पूरव और पश्चिम सब कहीं इस समस्या पर विचार किया जा रहा है और सुझाव उपस्थित किये जा रहे हैं। इस विषय पर सब जगह अनेक ग्रंथ प्रकाशित हुये हैं।
पाश्चात्य मनोचिकित्सा के क्षेत्र में नये-नये विकास होने के साथ पूरव और पश्चिम में कहीं विचारकों और चिकित्सकों ने ध्यान के द्वारा मानसिक आरोग्य की संभावना को खोजने का प्रयास किया है। ध्यान योग का पश्चिम में भारी स्वागत किया गया है। प्रचार-प्रसार के अभाव मेें भारत के विभिन्न ध्यान योग प्रणाली एवं श्री अरविंद के योग समन्वय के विषय में पश्चिम में अभी तक अधिक जानकारी नहीं है। फिर भी सभी प्रकार के योग प्रणालियों विशेषतः हट योग के आश्चर्यजनक परिणाम सामने आये हैं। ध्यान योग प्रणालियों के द्वारा मानसिक आरोग्य कहां तक प्राप्त किया जा सकता है ध्यान योग विषय पर समीक्षा का अभी अभाव है। प्रस्तुत प्रस्तावित लेख द्वारा इस प्रकार की कमी को पूरा करने का प्रयास है।
प्रायः सभी दार्शनिकों ने मन को स्वीकार किया गया है। मन के नियंत्रण से ही ध्यान योग मार्ग को आगे बढ़ाया जा सकता है। मन क्या है ? इसके विषय में दार्शनिकों ने अपने-अपने मत दिये हैं तथा मन को अन्तःकरण के अन्तर्गत स्थान दिया है। मन को नियंत्रण के विभिन्न ध्यान योग प्रणालियाॅं विभिन्न दार्शनिकों ने बतलाई है। मेरे विषय का यही विचारणीय प्रश्न है क्योंकि वर्तमान समय में ध्यानयोग द्वारा मन को नियंत्रण करते हुये व मानसिक आरोग्यता प्राप्त करते हुये ही हम आध्यात्मिकता (समाधि) को प्राप्त करते हैं तथा आध्यात्मिकता समाधि में ही मानसिक आरोग्यता प्राप्त होती है यह सर्व-विदित है। इस लेख में मानव के जीवन के आनंद का मार्ग ध्यान से होकर जाता है और परमात्मा तक अगर कोई भी पहुंचा है तो ध्यान योग की सीढ़ी के अतिरिक्त और किसी सीढ़ी से नहीं पहुंचा है। पाश्चात्य तथा भारतीय दार्शनिकों द्वारा बतलाये हुये सभी धर्म में ध्यानयोग द्वारा मानव की मानसिक आरोग्यता प्रदान करना बतलाया गया है।

References

संदर्भ ग्रन्थ सूची

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Published

2014-01-31