वर्तमान परिपेक्ष्य में आदिवासियों/अनुसूचित जनजातियों के शैक्षणिक उत्थान हेतू योजनाएं

Authors

  • कु. संध्या चैरसिया अतिथि विद्वान राजमाता सिंधिया शा.कन्या महाविद्यालय छिंदवाड़ा

Keywords:

जनजातियां, सदियों, आदिवासी, संरक्षित, बुद्धिजीवी।

Abstract

मध्यप्रदेष जनजातीय बाहुल प्रदेष हैं, जहां अनेकों जनजातियां निवास करती है। आदिवासी जनसंख्या सदियों से पिछड़ी रहने के कारण समाज के अन्य वर्गो की तुलना में विकास के दौड़ में बिछड़ गयी है, उनकी यह स्थिति उन्नत समाज के लिए एक चुनौती है। इस चुनौती का सामना करने के लिए मध्यप्रदेष शासन ने आदिवासी कल्याण की व्यापक योजनाएं बनाई हैं एवं उनका क्रियान्वयन भी किया जा रहा है जिसमें उनके आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक व शैक्षणिक विकास को महत्तवपूर्ण स्थान दिया गया। परंतु फिर भी उनका इन वर्षा के दौरान उतना विकास नही हो पाया जितना कि आषा की गई थी। अतः आज इस बात के लिए पूरा देष संकल्प लिए हुए है कि आदिवासी को राष्ट्र की मुख्य धारा में समावेषित किया जाये, ताकि वे अपने मूल अस्तित्व को संरक्षित करके भारत के अंग बन सकें। प्रस्तुत शोध पत्र में यह बताया कि सुदूर अंचलों में रहने वाले आदिवासियों के जीवन स्तर में खुषहाली लाने के लिए राज्य सरकार ने कई कल्याणकारी कार्यक्रम शुरू किये है। जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार लाया जा सकें, वर्तमान में विकास की ओर ले जाने वाली अनेक योजनाएं है जिसमें षिक्षा सबसे मुख्य है। जिस राष्ट्र का मानव जितना षिक्षित एवं बुद्धिजीवी होगा वह राष्ट्र की प्रकति में उतना ही आगे होगा। अतः मानव को षिक्षित होना अति आवष्यक है। षिक्षा वह प्रकाष पुंज है, जो संपूर्ण समाज को अपने प्रकाष से प्रकाषित करता है, षिक्षा समाज वह राष्ट्र की पहचान होती है इस शोध पत्र में आदिवासी की शैक्षणिक स्थिति का सामने लाने का प्रयास किया गया है, ताकि उनके जीवन में सुखद बदलाव लाये जा सकें।

References

संदर्भ ग्रन्थ-

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संस्कृति

डाॅ.श्रीमती राजेष- भारतीय राजनीति के नये आवाम- कालेज बुक डिपो, विष्वभारती पब्लिकेंस,नई दिल्ली 2013

जैन, डालचंद जैन

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Published

2015-01-31