देश की प्रगति में राजभाषा हिन्दी का योगदान

Authors

  • माधवी .. शोधार्थी, अतिथि व्याख्याता हिन्दी-विभाग, बी0 आर0 एम0 काॅलेज, मुंगेर ;ति0 मां0 भा0 वि0द्ध, भागलपुर-812007

Keywords:

राजभाषा, संविधान, सामासिक, प्रतिष्ठित, कल्याणकारी, लाभान्वित।

Abstract

‘‘निज भाषा उन्नति अहै सब उन्न्ति को मूल।
बिन निज भाषा ज्ञान के मिटत न हिय को सूल।।’’
देश की प्रगति में राजभाषा हिन्दी के योगदान पर विचार करें तो भारतेन्दु ने उन्नति के लिए जिस निज भाषा को रेखांकित किया है। वह हिन्दी भाषा ही है। संविधान ने हिन्दी को राजभाषा का दर्जा दिया और हिन्दी को राजकाज की भाषा ही नहीं, उसे सामासिक संस्कृति की वाहिका भी कहा है। इस प्रकार सामासिक संस्कृति को दृढ़तर करना राष्ट्रीय प्रगति को भी दृढ़तर करना होगा। हिन्दी एक हजार सालों से अधिक राष्ट्रभाषा के रूप में प्रतिष्ठित रही है। राष्ट्रभाषा से तात्पर्य उस भाषा से है, जो सम्पूर्ण दिशा में विचार-विमर्श कर सके। इस प्रकार अन्र्तप्रादेशिक गुणों से युक्त भाषा जिसमें सामाजिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक विचारों को अभिव्यक्त करने की पूर्ण क्षमता राष्ट्रभाषा कहलाती है। इस दृष्टि से हिन्दी सर्वाधिक सशक्त, समृ(, वैज्ञानिक गुण वैशिष्टय से सम्पन्न भाषा है। भारत सहित अन्य देशों में हिन्दी बोलने-समझने वाले 60 करोड़ से ज्यादा लोग हैं। सरकार आम जनता के लिए कल्याणकारी योजनाएँ बना रही है। योजनाओं की जानकारी के अभाव में लोग लाभान्वित नहीं हो पाते। बहुसंख्यक लोग हिन्दी बोलते-समझते हैं। राजभाषा हिन्दी ऐसे लोगां तक जन-कल्याण की योजनाओं के प्रचार-प्रसार में भी योगदान दे रही है।

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Published

2015-01-31